Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Hemchandrasuri Acharya
Publisher: Atmaram Jain Model School

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Page 6
________________ REMEDIS [ ] ARAale विद्यार्थियों के लिए तथा भाषा-शास्त्रियों के लिए अत्युपयोगी है । इस के रचयिता जैन-भूषण साहित्यकार पण्डित-रत्न श्री ज्ञान मुनि जो हैं । पुस्तक का प्रकाशन, कागज, छपाई सब तरह सुन्दर है। युगानुकल मूल्य भी कोई अधिक नहीं है। पुस्तक पठनीय, रमणीय एवं संग्रहणीय है। इसमें एक उल्लेखनीय विशेषता यह भी है कि शब्द-शास्त्र में जिन शब्दों को रूप-सिद्धि की गई है, उन प्राकृतबाब्दों की प्रकार प्रादि अनुक्रमणिका भी अंत में पृष्ठाख सहित जोड़ दी है । इस प्रक्रिया ने विषय को और भी सुबोध बना दिया है। पंजाब-प्रान्तीय उपाध्याय प्रवर्तक पण्डित-रस्न श्री कूलचन्द्र जी महाराज "श्रमण" "प्राकृत-व्याकरणम्" ...: "प्राकृत-नयाकरणम्" यह अद्भुत, सभी सरह से पाई, ध्याख्या है पांडित्य-पूर्ण तो, सुन्दर बड़ी छपाई। अखिल विश्व में प्राकृत भी है, जानी-मानी भाषा, पढ़े इसे प्राकृत पढ़ने को, जिसको हो अभिलाषा । जिनको है पंजाब केसरी", कहता यह संसार, पण्डित जान मुनीश्वर इसके, सुलभं व्याख्याकार । [४] कर सकता है कोई ही श्रम, "चन्दन" इतना भारी । लेखक मुलि हैं सभी तरह से, साधुवाद अधिकारी। ____ कविरत्न, प्रख्यातसन्त, श्रद्धेय श्री पवनमुनि जी महाराज। ६. "प्राकृत-ध्याकरण" नामक पुस्तक देखने को मिली, यह ग्रंथ मौलिक ग्रंथ है । जैन-भूषण पंजाब केसरी श्री ज्ञान मुनि जी द्वारा सम्पादित एवं अनुवादित है। प्राकृतभाषा का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक बहुत उपयोगी ग्रंथ है । इस ग्रंथ को भाषा बड़ो सरल तथा साहित्यिक भी है। मान्य श्री ज्ञान मुनि जी का श्रम इसमें पूर्ण रूपेण निखरा हुमा है। मान्य श्री शाम मुनि जी सुलझे हुए विचारों के धनी एवं जैन-शास्त्रों के ज्ञाता भी हैं। वास्तव में जैसा नाम है-वैसा हो गुण है। इस ग्रन्थ में पापके ज्ञान की गंगा का प्रवाह पूर्ण-रूपेण प्रवाहित हुआ है। माप उदीयमान

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