Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 16
________________ पाठ 6-कार्तिकेयानुप्रेक्षा गिह-गोहणाइ = गिह-गोहण+आइ (घर, गायों का समूह वगैरह) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। भुंजिज्जउ = भुंज+इज्जउ (भोगी जावे) । नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। सयलट्ठ-विसयजोओ = सयल+अट्ठ-विसयजोओ (सभी वस्तुओं व इन्द्रिय विषयों का संयोग) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। सव्वायरेण = सव्व+आयरेण (पूर्ण सावधानीपूर्वक) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। एयत्ताविट्ठो = एयत्त+आविठ्ठो (एक ही स्थान में प्रविष्ट) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ आ = आ। कहिज्जमाणं = कह+इज्ज+माणं (कहे जाते हुए) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व . .. स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। पाठ 7-दसरहपव्वज्जा तणमसारं = तणं+असारं (तिनका असार है) . ..नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। मरणग्गिणा = मरण+अग्गिणा (मरणरूपी अग्नि से) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर ... पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। · जेणाहं = जेण+अहं (जिससे मैं) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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