Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 34
________________ महासंगामे (महासंग्राम में) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) चिन्तासमुद्दे (चिन्तारूपी समुद्र में) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) भोगकारणं (सुख का कारण) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) सिरपणामं (सिर से प्रणाम) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) चलणवन्दणं (चरणों में वन्दन) नियम 2-सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) कलुणपलावं (करुण रुदन) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) जणवयाइण्णा (जनपद से परिपूर्ण) . नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) जणयधूया (जनकपुत्री) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पाठ 8 - रामनिग्गमण-भरहरज्जविहाणं जलसमिद्धा (जल से समृद्ध) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) . आणागुणविसालं (आज्ञागुण से समृद्ध) .. नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) नमियसरीरो (झुके हुए शरीरवाला) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) पाठ 9 – अमंगलिय पुरिसस्स कहा परचक्कभएण (शत्रु के द्वारा आक्रमण के भय से) . नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक 25 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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