Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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नियम 2- जब एक कार्य के हो जाने पर दूसरा कार्य होता है तो हो चुके कार्य में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। हो चुके कार्य के वाक्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग होने पर वाक्य कर्तृवाच्य में होगा। कर्तृवाच्य में कर्ता और कृदन्त में सप्तमी होती है। आगमेसु/आगमेसुं (2/2-7/2) जाणिऊण/जाणिऊणं/जाणिदूण/ जाणिदूणं/जाणिअ/जाणिय/जाणिउं/जाणित्ता (संकृ) तुज्झ सच्चं (1/1) कही। नियम 3- द्वितीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति भी हो जाती
अणुचरेसु/अणुचरेसुं (3/2-7/2) सह संभासिऊण/संभासिऊणं/ संभासिदूण/संभासिदूर्ण/संभासिअ/संभासिय/संभासिउं/संभासित्ता (संकृ) सो (1/1) गच्छिओ। नियम 3- तृतीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति भी हो जाती है। विसए (5/1-7/1) विरत्तचित्तो (1/1) जोई हवइ/हवेइ/हवए। नियम 3- पंचमी विभक्ति के स्थान पर कभी-कभी सप्तमी विभक्ति होती है।
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प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक
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