Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 36
________________ धम्महीणमणुसस्स (धर्महीन मनुष्य का) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) माणवभवो (मनुष्य भव) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) धम्मपत्तीए (धर्म लाभ में) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पंचवासा (पाँच वर्ष) नियम 2.2- दिगु समास (द्विगु समास) पाठ 11-कस्सेसा भज्जा जणय-जणणी-भाया-माउलेहिं (पिता, माता, भाई और मामा के द्वारा) नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) अमयरसकुप्पयं (अमृतरस के घड़े से) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) गंगामज्झम्मि (गंगा के मध्य में) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पाठ 12-ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा घयजुत्तो (घी से युक्त) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) .. तिलतेल्लजुत्तं (तिल के तेल से युक्त) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) विविहकीलाओ (विविध क्रीड़ाएँ) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) . भोयणरसलुद्धा (भोजन रस के लोभी) __ नियम 2- छुट्टी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक 27 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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