Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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कारक प्रथमा विभक्तिः कर्ता कारक यहाँ प्रथमा विभक्ति के अभ्यास वाक्य नहीं दिये गये हैं। इन्हें 'प्राकृतव्याकरण' में दिये गये उदाहरण वाक्यों से समझा जाना चाहिए।
द्वितीया विभक्तिः कर्म कारक
अभ्यास 1 1. तेण (3/1) गंथो. (1/1) पढिज्जइ/पढीअइ/पढिज्जए/पढीअए/आदि।
नियम 1- कर्मवाच्य में कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है। सो (1/1) बालअं (5/1- 2/1) पहं (2/1) पुच्छइ/पुच्छेइ/पुच्छए/ पुच्छदे/आदि। नियम 2- द्विकर्मक क्रियाओं के योग में मुख्य कर्म में द्वितीया विभक्ति एवं गौण कर्म में सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण आदि विभक्तियों के होने पर भी द्वितीया विभक्ति होती है। सो (1/1) गाविं (5/1-2/1) दुद्धं (2/1) दुहइ/दुहेइ/दुहए/आदि। नियम 2- अपादान 5/1 के स्थान पर द्वितीया विभक्ति। सो (1/1) रुक्खं (5/1-2/1) पुप्फ (2/1) चुणइ/चुणेइ/आदि।
नियम 2- अपादान 5/1 के स्थान पर द्वितीया विभक्ति। 5. मुणी (1/1) बालअं (4/1--2/1) धम्मं (2/1) उवदिसइ/उवदिसेइ/
उवदिसए/उवदिसदि/आदि।
नियम 2- सम्प्रदान 4/1 के स्थान पर द्वितीया विभक्ति। ___6. सो (1/1) तं (5/1-2/1) धणं (2/1) मग्गइ/मग्गेइ/मग्गए/आदि। ... नियम 2- अपादान 5/1 के स्थान पर द्वितीया विभक्ति।
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प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक
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