Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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सव्वेसिमंगपुव्वाणमेगदेसो = सव्वेसिं+अंग+पुव्वाणं+एगदेसो (सभी अंग
(और) पूर्वो का एक देश) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम ‘म्' के .
पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। दक्खिणावहाइरियाणं = दक्खिणावह+आइरियाणं (दक्षिणापथ के आचार्यों के ...
लिए)
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। धरसेणाइरियवयणमवधारिय = धरसेण+आइरिय+वयणं+अवधारिय. .
(धरसेनाचार्य के वचन को सुनकर) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के ..
पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। धवलामल-बहुविहविणयविहूसिया = धवल+अमलबहविहविणय
विहूसिया (अनेक प्रकार की उज्जवल और निर्मल विनय से विभूषित अंगवाले)
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। तिक्खुत्ताबुच्छियाइरिया = तिक्खुत्ताबुच्छिय+आइरिया (आचार्य तीन बार
पूछे गये)
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। कुंदेंदु-संखवण्णा = कुंद+इंदुसंखवण्णा (चन्द्रमा और संख के समान वर्णवाले कुन्द
के पुष्प)
नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (क) अ+इ = ए। धरसेणाइरियं = धरसेण+आइरियं (धरसेन आचार्य को)
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। पादमूलमुवगया = पादमूलं+उवगया (चरण को प्राप्त हुए हैं)
नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है।
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प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक
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