Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 31
________________ पंचक्खरनिप्पणो (पाँच अक्षरों से निकला हुआ) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) भत्तिजुत्तो ( भक्ति सहित) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) पवयणसारं (प्रवचन के सार को) नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) समणसुत्तं नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) इंदिअविसएस (इन्द्रिय-विषयों में) पाठ 2 मोहाउरा (मोह से पीड़ित) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) कम्मवसा (कर्मों के अधीन ) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) पोक्खरिणीपलासे (कमलिनी का पत्ता ) छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) नियम 2मुत्तिसुहं (मुक्ति सुख को ) नियम 2छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) विसयासत्तु (विषय में आसक्त) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास ( सप्तमी तत्पुरुष समास ) जीवदया ( जीव के लिए दया) नियम 2- चउत्थी विभत्ति तप्पुरिस समास (चतुर्थी तत्पुरुष समास ) सरणमुत्तमं (उत्तम शरण) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) 22 सुहोइयं (सुखों के लिए उपयुक्त) Jain Education International - पाठ 3 उत्तराध्ययन नियम 2- चउत्थी विभत्ति तप्पुरिस समास (चतुर्थी तत्पुरुष समास ) प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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