Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 28
________________ नियम 1- स. जहाछंदाईणं = जहाछंद+आईणं (जैसे स्वछन्दता से आचरित) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। संसारभयवद्धणमिदि = संसारभयवद्धणं+इदि (इस प्रकार संसार भय को बढ़ानेवाला) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम ‘म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। परिक्खाकाउमाढत्ता = परिक्खाकाउं+आढत्ता (परीक्षा करने के लिए आरम्भ किया गया) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। हिययणिव्वुइकरेत्ति = हिययणिव्वुइकर+इत्ति (हृदय में निवृत्तिजनक) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (क) अ+इ = ए। अहियक्खरा = अहिय+अक्खरा (अधिक अक्षरवाली) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। विहीणक्खरा = विहीण+अक्खरा (कम अक्षरवाली) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। छटोववासेण = छट्ठ+उववासेण (लगातार दो दिन के उपवास से) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (ख) अ+उ = ओ। हीणाहियक्खराणं = हीण+अहिय+अक्खराणं (हीन और अधिक अक्षरों का) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व . स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। छुहणावणयणविहाणं = छुहण+आवणयणविहाणं (डालने और निकालने के विधान को) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। तत्थेयस्स = तत्थ+एयस्स (उनमें से एक को) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक 19 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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