Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 21
________________ पाठ 9-अमंगलियपुरिसस्स कहा भयकारणमदटूण = भय+कारण+अदटूण (भय के कारण को न देखकर) . . नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। नरिंदमुहदसणेच्छा = नरिंदमुहदंसण+इच्छा (राजा के मुख दर्शन की इच्छा) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (क) अ+इ = ए। नरिंदसमीवमाणीओ = नरिंदसमीवं+आणीओ (राजा के समीप लाया गया) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। किमेत्थ = किं+एत्थ (यहाँ क्या) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। वहाएसं = वह+आएसं (वध का आदेश) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। पाठ 10-विउसीए पुत्तबहूए कहाणगं ससुराई = ससुर+आइं (ससुर आदि को) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। धम्मोवएसो = धम्म+उवएसो (धर्म का उपदेश) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (ख) अ+उ = ओ। जीवाणमाहारु = जीवाणं आहारु (जीवों के लिए आधार) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। 12 प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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