Book Title: Prakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 15
________________ जाणमलिंगग्गहणं = जाणं + अलिंगग्गहणं (ज्ञान का ग्रहण बिना किसी चिह्न के ). नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। जीवमणिद्दट्ठसं ठाणं = जीवं+अणिद्दिट्ठसंठाण (आत्मा का आकार अप्रतिपादित है ) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। सायारणयारभूदाणं = सायार+अणयारभूदाणं (गृहस्थ साधु होनेवालों का) नियम 4• लोप - विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। झाणज्झयणो = झाण + अज्झयणो ( ध्यान और अध्ययन) . नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। परब्भिंतर बाहिरो = पर+अब्भिंतर+बाहिरो (परम, आंतरिक और बहिर) नियम 4लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। अंतोवायेण = अंत + उवायेण (आंतरिक साधन से ) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (ख) अ +उ = बहिरत्थे = बहिर+अत्थे (बाह्य पदार्थ में) कम्मिंधणाण = कम्म + इंधणाण (कर्मरूपी ईंधन को ) 6 नियम 4 लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है । तेव = त + एव ( तुम्हारें लिए ही ) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। ओं। नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप विकल्प से हो जाता है। Jain Education International प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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