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4. 'टेस्ट डिसाईफरमेंट ऑफ द हड़प्पन इंस्क्रिपशन्स', डॉ. रमेश जैन (शोधपत्र भारतीय
पुराभिलेखन परिषद् के 26-39 अप्रैल 2000 को इरोड़, तमिलनाडु में सम्पन्न वार्षिक
अधिवेशन में प्रस्तुत किया गया)। 5. 'इण्डिया इन ग्रीस', ई० पोकाका, ओरिएण्टल पब्लिशर्स, देहली, भारत, वर्ष 1972 (पुरावृत्ति)। 6. 'स्टडीज इन प्रोटो-इण्डो-मैडीटरेनियन कल्चर', फादर ह, हेरास, इण्डियन हिस्टॉरिकल
रिसर्च इन्स्टीट्यूट, मुम्बई, 1953, पृ0 170-181। 7. 'एनुअल रिपोर्ट, आर्कोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया', 1923-24, सर जॉन मार्शल, पृ०
501 8. इरावती महादेवन, 1977। 9. 'हड़प्पन्स रोट इन वैदिक लैंगुएज', डॉ रमेश जैन, पुराभिलेख पत्रिका, अंक 24, 1998,
पृ० 46-50. 10. रमेश जैन, 1992. 11. सन्दर्भ 9 की तरह। 12. सन्दर्भ 9 की तरह। 13. सन्दर्भ 9 की तरह। 14. सन्दर्भ 9 की तरह। 15. 'ए क्लासिकल डिक्शनरी ऑफ इण्डिया', जॉन गैरेट, एटलान्टिक पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रिब्यूटर्स,
नई दिल्ली (पुनर्मुद्रण), 1989. 16. रमेश जैन, 2000. 17. 'पुण्यासव कथाकोषम्', श्री रामचन्द, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, 1987, पृ० 269. 18. 'जिन ऋषभ तथा श्रमण परम्परा का वैदिक मूल', डॉ० मुनीशचन्द्र जोशी, ऋषभ सौरभ,
1992, पृ० 66-67. 19. श्री रामचन्द्र, 1978, पृ० 276. 20. सन्दर्भ 12 की तरह। 21. आवरण-कथा, ओजस्विनी, वर्ष 5, अंक 6, पृ० 17।
सारस्वत लिपि बाहमी "वर्णाश्चत्वार एते हि येषां ब्राह्मी सरस्वती। विहिता ब्रह्मणा पूर्व लोभादज्ञानतां गताः।।"
-(महाभारत, शांतिपर्व, मोक्षधर्म, 12/18/15.
पूना संस्करण, 1954, पृ० 1025) अर्थ :- चारों वर्गों में सारस्वत लिपि ब्राह्मी' के प्रयोग का विधान स्वयं ब्रह्मा के द्वारा किया गया था, जोकि कलिकाल के प्रभाव से तथा भौतिकता के आकर्षण के कारण अब क्रमश: अज्ञानता को प्राप्त हो रही है, अर्थात् अब इसका प्रचलन घट रहा है। **
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2000