Book Title: Prakrit Vidya 2000 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 111
________________ उन्होंने साहित्य-सृजन और समाजसेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। ___ डॉ० भारिल्ल जी को सुश्री निर्मलाताई देशपांडे ने प्रशस्ति-पत्र भेंटकर एवं इन्दुजी ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। अनेक संस्थानों एवं समाजसेवियों ने भी डॉ० भारिल्ल का स्वागत किया। आभार व्यक्त करते हुए डॉ० भारिल्ल ने कहा कि यह समारोह आचार्य-परम्परा से उपलब्ध जिनवाणी की उपासना एवं आराधना का सम्मान है। आचार्यश्री समाज को जोड़ने और सबको गले लगाने में विश्वास रखते हैं। समारोह के संयोजक चक्रेश जैन ने सभी समागत अतिथियों और विद्वानों का स्वागत किया। समारोह का संचालन डॉ० सुदीप जैन ने किया। -सम्पादक** हरिचरण वर्मा 'संगीत-समयसार' पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के सान्निध्य में भारतीय संगीत के विशेषज्ञ श्री हरिचरण वर्मा को वैशाली मण्डप में आयोजित भव्य समारोह में डी०सी० जैन फाउण्डेशन द्वारा कुन्दकुन्द भारती न्यास के तत्त्वावधान में प्रवर्तित प्रथम 'संगीत-समयसारपुरस्कार' प्रदान किया गया। इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जैन शास्त्रों में शांत और वीतराग रस के भजन अधिक हैं, जो मनुष्य को मोक्षमार्ग की ओर ले जाते हैं। श्रृंगार रस के भजन व्यक्ति को संसार की ओर ले जाते हैं। यदि मनुष्य नित्यप्रति कुछ देर 'ओम्' शब्द का उच्चारण कर ले, तो उसकी 72 नाड़ियां स्वस्थ हो जाती हैं और वह आरोग्य प्राप्त कर प्रफुल्लित हो जाता है। ___ समारोह के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री विजेन्द्र जैन ने संगीत के क्षेत्र के हरिचरण वर्मा के उल्लेखनीय योगदान की सराहना करते हुए इसे भक्ति-संगीत का सम्मान बताया। भारतवर्षीष दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष साहू रमेशचंद्र जैन ने कहा कि जीवन में कला और साहित्य का विशिष्ट महत्त्व है। संगीत से पत्थर पिघल जाता है। समारोह की अध्यक्ष पद्मभूषण श्रीमती शरनरानी बाकलीवाल जी ने श्री वर्मा को पुरस्कार समर्पित किया। कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक डॉ० सुदीप जैन ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन करते हुए बताया कि श्री वर्मा ने शताधिक शोधपूर्ण कार्यक्रम, 50 से अधिक रूपक, 2000 से अधिक गीत, भजन, गजल आदि की प्रस्तुति की है। सूरदास' फिल्म का संगीत-निर्देशन भी उन्होंने किया। दक्षिण अमेरिका में इनको संगीत मार्तण्ड' सम्मान मिला और जार्जटाउन में इनके नाम पर 'वर्मा स्ट्रीट' का नामकरण हुआ। वे आकाशवाणी में भारतीय संगीत के मुख्य प्रस्तोता' के रूप में प्रतिष्ठित हैं। श्री वर्मा को सरस्वती प्रतिमा, शॉल, माला, स्वर्णपदक एवं एक लाख रुपए प्रदान कर 'भक्ति संगीत शिरोमणि' की उपाधि से अलंकृत किया गया। –सम्पादक ** प्राकृतविद्या के स्वत्वाधिकारी एवं प्रकाशक श्री सुरेशचन्द्र जैन, मंत्री, श्री कुन्दकुन्द भारती, 18-बी, स्पेशल इन्स्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110067 द्वारा प्रकाशित; एवं मुद्रक श्री महेन्द्र कुमार जैन द्वारा, पृथा ऑफसेट्स प्रा० लि०, नई दिल्ली-110028 पर मुद्रित। भारत सरकार पंजीयन संख्या 48869/89 प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2000 00 109

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