Book Title: Prakrit Vidya 2000 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 106
________________ कुन्दकुन्द भारती प्रांगण में विश्वभर के यशस्वी दार्शनिकों का समागम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर एवं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् जैसे यशस्वी कालजयी महापुरुषों द्वारा स्थापित 'भारतीय दर्शन परिषद्' की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने के सुअवसर पर आयोजित हीरक जयन्ती समारोह' के प्रसंग में विश्व दार्शनिक महाधिवेशन' का आयोजन राजधानी नई दिल्ली में गरिमापूर्वक किया गया। इस कार्यक्रम के दो महत्त्वपूर्ण सत्र दिनांक 30 एवं 31 दिसम्बर 2000 को कुन्दकुन्द भारती प्रांगण में आयोजित किये गये। इस महाधिवेशन में विश्वभर से पधारे लगभग 1250 दार्शनिक विद्वान् यहाँ के परिसर, व्यवस्था एवं कार्यक्रम की गरिमा को देखकर भावविभोर हो उठे। दिनांक 30 दिसम्बर के विशेष सत्र में पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का 'अग्नि में जीवत्वशक्ति' विषयक उद्बोधन अभूतपूर्व रहा। इस अवसर पर अग्नि में जीवत्वशक्ति के बारे में जिन अकाट्य प्रमाणों को अद्भुत प्रतिपादन शैली के द्वारा प्रस्तुत किया, उससे सभी विद्वान् व श्रोतागण भावविभोर हो उठे। इस उद्बोधन की मुद्रित पुस्तकाकार प्रति भी सभी को उपलब्ध करायी गयी। कार्यक्रम का गरिमापूर्वक संचालन करते हुए डॉ० सुदीप जैन ने समागत विद्वानों को संस्था की गतिविधियों एवं योजनाओं की प्रभावी रूपरेखा से परिचित कराया तथा पूज्य आचार्यश्री के मंगल सान्निध्य में हुए कार्यों की जानकारी दी, जिससे वे अभिभूत हो उठे। इस कार्यक्रम में दर्शनशास्त्र के विदेशी विद्वानों के अतिरिक्त एक सौ कृतकार्य (रिटायर्ड) भारतीय प्रोफेसरों को भी माल्यार्पण शॉल-समर्पण एवं स्वर्णमंडित पदक के साथ सम्मानराशि प्रदान कर कुन्दकुन्द भारती की ओर से सम्मानित किया गया। इस सुन्दर आयोजन के लिए महाधिवेशन के संयोजक डॉ० एस०आर० भट्ट ने कुन्दकुन्द भारती के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की। इस आयोजन में डॉ० कमलचंद सोगानी, डॉ० वीरसागर जैन, डॉ जयकुमार उपाध्ये, श्री सुरेन्द्र कुमार जौहरी, श्री रूपेश जैन, श्री महेन्द्र कुमार जैन (पूर्वपार्षद) आदि सज्जनों का भी उल्लेखनीय सहयोग रहा। –सम्पादक ** 'ब्राह्मी लिपि-विषयक कार्यशाला सम्पन्न कुन्दकुन्द भारती प्रांगण में पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी के सान्निध्य में प्राय: अभूतपूर्व कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। इसी श्रृंखला में नववर्ष की प्रभातबेला में दिनांक 8.1.2001 से 14.1.2001 तक ब्राह्मी लिपि' विषयक कार्यशाला का आयोजन प्रख्यात लिपिवेत्ता मनीषीप्रवर प्रो० के०के० थपल्याल (कृतकार्य प्रोफेसर एवं कलासंकाय प्रमुख, लखनऊ विश्वविद्यालय) के निदेशकत्व में किया गया। इस कार्यशाला में प्रो० थपल्याल जी ने तो सातों दिन 'ब्राह्मी लिपि' का सैद्धान्तिक, ऐतिहासिक एवं व्यावहारिक ज्ञान कराया ही, साथ ही श्री आर०सी० त्रिपाठी (महासचिव राज्यसभा), प्रो० मुनीश चन्द्र जोशी (पूर्व महानिदेशक 'भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण), प्रो० एस०एस० राणा (पूर्व प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ० रवीन्द्र वशिष्ठ (वरिष्ठ प्राध्यापक दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो० 00 104 प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2000

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