Book Title: Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01 Author(s): V M Kulkarni Publisher: B L Institute of IndologyPage 28
________________ Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 29) Kamalāarā na maliā...... (p. 281-282.) कमलाअरा ण मलिआ हंसा उड्डाविआ ण अ पिउच्छा। केण वि गामतडाए अब्भं उत्ताणअं छूटं ॥ (कमलाकरा न मृदिता हंसा उड्डायिता न च पितृष्वसः/ सखि । केनापि ग्राम-तडागेऽभमुत्तानकं क्षिप्तम् ॥) - GS II. 10 30) Vanirakudamgoddina...... (p. 282) वाणीर-कुडंगुड्डीण-सउणि-कोलाहलं सुणंतीए । घरकम्म-वावडाए बहुएँ सीति अंगाई ॥ (वानीर-निकुञ्जोडीन-शकुनि-कोलाहलं शृण्वत्याः । गृहकर्म-व्यापृताया वध्वाः सीदन्त्यङ्गानि ॥) -GS (W) 874 31) Uccinasu padia-kusumam....... (p. 283) उच्चिणसु पडिअ-कुसुमं मा धुण सेहालिअं हलिअ-सुण्हे । अह दे विसम विरावो विवाओ ससुरेण सुओ वलअ-सद्दो॥ (उच्चिनुष्व पतित-कुसुमं मा धुनीहि शेफालिका हालिक-स्नुषे । एष ते विषम-विरावः । विपाकः श्वशुरेण श्रुतो वलय-शब्दः ॥) - -GS (W) 959 Hemacandra's KĀS (p. 55) and SS (No. 959) read • Esa avasana-viraso' (Sk. Esa avasana-virasah ). KLV (p. 154) reads : ' Aha e visama-virao' (Sk Esa te visama-virāmah? virāvaḥ ?) In the light of the context the reading found in KĀŚ and SŚ would seem to be more appropriate. *32) Kassa va na hoi roso...... (p. 284) For the full text of this gāthā and its Sanskrit Chāyā vide No. 5 supra. 33) Emea jano tissa..... (p. 293) एमेअ जणो तिस्सा देइ कवोलोवमाइ ससिबिबं । परमत्थ-विआरे उण चंदो चंदो च्चिअ वराओ॥ (एवमेव जनस्तस्या ददाति कपोलोपमायां शशिबिम्बम् । परमार्थविचारे पुनश्चन्द्र श्चन्द्र एव वराकः ॥) 34) Visamaio(ccia] kana vi...... (p. 294) विसमइओ च्चिअ काण वि काण वि वोलेइ अमिअ-णिम्माओ। काण वि विसामिअमओ काण वि अविसामओ कालो॥ (विषमय एव केषामपि केषामप्यतिक्रामत्यमृतनिर्माणः । केषामपि विषामृतमयः केषामप्यविषामृतः कालः ॥)Page Navigation
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