Book Title: Prakarana Ratnakar Part 2
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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अध्यात्ममतपरीक्षा.
तर.
संपातिमरजरेणु प्रमार्जवाने अर्थे मुहपती राखवी, खेवादेवा प्रमुखनी क्रियाए पू र्वे प्रमार्जवाने अर्थे तथा जैनलिंगने अर्थे उगो राखवो. तथा पुरुष वेदनीयोद यादिक वर्जने अर्थे चोलपट राखवो. इत्यादिक वस्त्रना गुण कह्यावे. अनानोगे लीधेला जे संसक्त गोरसादिक, ते पात्रेकरीने विधिए परवाई शकायचे. पात्रवि ना हाथमांज सीधा होय तो योग्य ठेकाणे केम परवी शकाय? तथा हाथमा सरस वस्तु लीधाथी तेनो बिंड जो नीचे पडे, तो तेथकी कीडीयोप्रमुख अनेक जं तुयोनी विराधना थाय. गृहस्थ नाजनने अर्थे उपनोगेपण पश्चात्कर्मादिक दोष नपजे; अने जो पात्र होय तो तेणे करी ग्लान अथवा पुर्बलने पथ्यादिकं लाव वाने अर्थे उपयोगी होवाथी नपकार थायले. अलब्धिवंत तथा लब्धिवंत अस मर्थ तथा समर्थ प्रादुणाने वास्तव्य पात्र होय तो अन्नपानादिकने आपणी नप कार करे. अन्यथा केम करे ? इत्यादिक वस्त्र तथा पात्रनेविषे अनेक गुणजाणी शरीरनी पठे धर्महेतु होवाथी तेमां परिग्रहपणानी आशंका करवी नही. ॥१३॥ नः- उपहासयुक्त पूर्वपदीनी मूल गाथा वर्ड आशंका करे :
जइ वहिनारगहणं, इ मुलाणवळणणिमित्तं ॥
तो सेयं थीगहणं, मेदुणसम्माणिरोह ॥ २४ ॥ व्याo:- शीत तथा तापप्रमुखनी पीडाए करी आर्तध्यान उपजे नही : ते सा संतमे एटसो बधो उपधिनो नार वेठो बो; त्यारे मैथुन संझानिमित्त आर्तध्यान नो त्याग करवासारु एक स्त्रीनो परिग्रह पण शासारं राखता नथी? ज्यारे जी
दिक वस्त्र राखवाथी मूळ थती नथी, त्यारे अंगनंग थएली तथा कुरूप स्त्री राखवाथी मूर्जा केम थाय? ॥ १४ ॥ उ:- ए आशंकानो उत्तर दिये:
एयं वि दूसगाणं, वयणं मयणंधवयणमिव मोहा ॥
अमह समोवदासो, देदादारागहणेवि ॥ १५ ॥ व्या:-तमा बोलवू नांड (मस्करा) ना जेवं नासेले. जेम होलीना दाहा डामा कामी पुरुषो गमे तेम बक्या करे. अने कामने वश थया थका लाज उप जावे एवां वचनो बोल्या करे . तेम तमे पण मिथ्यात्वना परवशेकरी अज्ञानने लीधे मस्करीना वचन बोलो बो. ते वचनोथी अमने तो कांई थवानुं नथी, पण तमे पोते तेवा देखाई आवो बो. केमके, तमे पोते पण नूरखनी पीडा टालवासारूं
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