Book Title: Pragnapanopang Tritiya Pad Sangrahani Author(s): Vijayjinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 3
________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ( लाखाबावल ) ___c/o श्रुत ज्ञान भवन ४५ दिग्विजय प्लोट जामनगर ( सौराष्ट्र ) वीर सं० वि. सं... सन् प्रथमावृत्तिः २५१५ २०४५ . १९८६ प्रतयः ७५० . आभारदर्शन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्यप्रकाशन योजनामा श्री प्रज्ञापनोपाङ्ग-तृतीयपद संग्रहणी प्रगट करतां आनंद अनुभवीए छाए-तेनु संपादन हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेव श्री विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर पूज्याचार्यदेव श्रीविजयजिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे कयु छे. तेश्रोश्रीना उपदेशथी आ ग्रन्थ मुंबइ चोपाटी श्री कल्याणपार्श्वनाथ जैन संघ तरफथी प्रगट करीए बीए श्री चोपाटी कल्याणपार्श्वनाथ श्री संघनो सहकार माटे आभार मानीए छोए. महेता मगनलाल चत्रभुज ता० २-६-८६ शाकमारकेट सामे जामनगर व्यवस्थापक : श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ॥ शुद्धिपत्रकम् ॥ पृष्ठं पंक्तिः शुद्धम् २४ १७ गर्भव्यूत्क्रांतिकेषु ४३ ११ पञ्चेन्द्रिय ४६ १० . समुद्घातेन ७१ ४ सामान्यतस्तिर्यञ्चोPage Navigation
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