Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 15
________________ [ १४ ] देह मान और आयु कितना बड़ा होगा। इस बात को केवल हमको ही नहीं पर सभ्य समाज को भी मानना पड़ता है। और यह बात भी सोलह आने सच्ची है जब ऋषभदेव का समय ही असंख्य कोटा कोटी वर्ष पूर्वका है उनके शरीर और आयुष्य में शंका को स्थान ही नहीं मिलता है "जरा आंख उठा के देखो पंजाब और सिन्ध की सरहद पर "हरप्पा" नामक स्थान में खोद का काम करते समय जो भूमि के अन्दर एक नगर निकल आया है उस नगरका अनुमान देश हजार वर्ष पूर्व का बतलाते हैं यद्यपि हमारे इतिहास की घुड़दौड़ यहाँ तक नहीं पहुंची है तथापि उस भूमि से निकले हुवे तमाम पदार्थ इतने लम्बे चौड़े हैं कि आज के मनुष्यों से बहुतबड़े हैं" और भी ऐसे कई पदार्थ मिलते हैं कि जिस पर दृष्टि डालने से हमारा अनुमान ठीक प्रमाणिक कहा जा सकता है । मेहरवान ? आप इतिहास प्रमाण के साथ अनुमान और अागम प्रमाण का सहयोग लिया करें कि आपके दो नैत्र की जगह चार नैत्र हो जाय और फिर विशाल दृष्टि से काम करें कि आपका इतिहास सर्व मान्य और उपयोग हो। अस्तु क्यों पधारते हो ? कान्ति-जी हाँ आपका ख्याल ठीक है अब मैं भी समझ गया कि अनुमान और अागम प्रमाण इतिहास के लिये बड़े उपकारी हैं। क्या वंशावली वालों से पूछने पर हमारे पूर्वजों का इतिहास मिल सकेगा ? शन्ति-हाँ जरूर मिल सकेगा और उनकी सहायता से ही आपका इतिहास सुन्दर और प्रमाणिक बनेगा।

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