Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala
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प्राचीन जैन इतिहास संग्रह की साधारण क्रिया थी जिसकी खबर श्रीमाल नगर में बिराजमान प्राचार्य स्वयंप्रभसूरि को हुई। आप श्रीमाल नगर के अनेक भावुकों के साथ पद्मावती नगरी में पहुंचे और यज्ञवादियों के साथ शास्त्रार्थ कर उनको सप्रेम समझा कर यज्ञ में होतो हुई लाखों मूक प्राणियों की बलि को रोक कर राजा पद्मसेनादि ४५००० घरों को जैनधर्मी बनाये, वे आज पर्यन्त प्रागवट (पोरवालों) के नाम से प्रसिद्ध हैं जिन्हों को पद्मावती पोर. वाल भी कहते हैं कारण आचार्य हरिभद्रसूरि ने बाद में भी 'पोरवाल बनाये थे।
"उपकेश गच्छ पट्टावली" (३) चन्द्रावती नगरी का राजा चन्द्रसेन जैनराजा
यह श्रीमाल नगर के राजा जयसेन का लोतासा पुत्र है अपने भाई भीमसेन के अनबन के कारण अपने नाम पर नई -नगरी चन्द्रावती बसा के अपनो राजधानी कायम की और जैन धर्म का प्रचार करने में खूब हो प्रयत्न किया ।
"उपकेश गच्छ पहावली" (४) शिवपुरी का राजा शिवसेन जैन राजा • यह चन्द्रसेन का लघु बन्धु था। इसने शिवपुरी (सिरोही) नगरी बसा के वहाँ का शासन किया-यह नृपति भी जैनधर्म
१-राजा चन्द्र सेन ने आबू के पास चन्द्रावती नगरी आबाद की वह 'विक्रम की तेरहवीं शताब्दी तक तो अच्छी उन्नति पर थी कहा जाता है कि उस समय जैनों के ३०० मन्दिर इस नगरी में थे पर आज तो केवल उसके खंडहर ही दृष्टिगोचर होते हैं।