Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 28
________________ जैन राजाओं का इतिहास ___भगवान महावीर का निर्वाण के बाद भी जैनाचार्यों ने जैन धर्म प्रचार के लिये भरसक प्रयत्न किया और अनेक राजा महाराजाओं का जैनधर्म की दीक्षा देकर जैन बनाये जिनका संक्षिप्त इतिहास यहाँ दे दिया जाता है(१) श्रीमाल नगर का राजा जयसेन जैन राजा पूर्व भारत में भगवान महावीर ने शुद्धि और संगठन की मशीन स्थापन कर लाखों क्रोड़ों अजैनों को जैन बनाया। तब इधर मरुभूमि में श्री पार्श्वनाथ भगवान् के पांचवें पद पर स्वयंप्रभसूरि का शुभागमन हुआ। श्राप अनेक मुनियों के परिवार से श्रीमाल नगर के उद्यान में पदार्पण किया। उस समय श्रीमाल नगर में यज्ञ की बड़ो भारी तैयारियाँ हो रही थीलाखों पशु पक्षियों को बलिदानार्थ एकत्र किये गये थे, प्राचार्य श्री को खबर होते ही उन्होंने राजसभा में जाकर "अहिंसापरमो धर्मः” का बड़ी खूबी से उपदेश दिया, फल स्वरूप में असंख्य प्राणियों को अभय दान दिलवा के ५०००० घरों को जैन बनाये । वे आज 'श्रीमोल' महाजन के नाम से मशहूर है। जिसमें वहाँ का राजा जयसेन मुख्य था। "उपकेश गच्छ पट्टावली" () पद्मावती नगरी का राजा पद्मसेन-जैन राजा आबू के पास पद्मावती नगरी के राजा पद्मसेन ने भी एक बड़ा भारी यज्ञ करना प्रारम्भ किया "जोकि उस समय यह प्रथा सर्वत्र प्रचलित थी । यज्ञ में बलिदान देना तो उन लोगों

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