Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala
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"प्राचीन जैन इतिहास संग्रह
(८३) नागपुर का राजा अल्हदन-जनराजा.
आचार्य बादीदेवसूरि जैन समाज में एक महान् प्रभावशाली और न्यायवेता सर्वत्र प्रख्यात हैं आप सपादलक्ष में विहार कर जैन धर्म का खुब ही प्रचार किया नागपुर ( नागौर ) का राजा अल्हदन को धर्मोपदेश दे जीवहिंसा के बज्रपाप से बचाकर जैन धर्म का अनुयायि बनाया-फलोदी पार्श्वनाथ के मंदिर की प्रतिष्टा वि० सं० १२०४ में आपही ने करवाई।
"प्रभाविक चरित्र । - (८४) पाहण का राजा सिद्धराज जयसिंह-जैनराजा.
यह नृपति कालिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्रसूरि का परम भक्त था आचार्य श्री का व्याख्यान अपनी राज सभा में करवा के
आप हमेशा जिनबाणि का पान किया करते थे इसी नृपति ने तीर्थधिराज श्री सत्रुजय को यात्रा कर १२ ग्राम भेट में दिया था।
"प्रभाविक चरित्र" (८५) पादृण का महाराजा कुमारपाल--जैनराजा
महाराजा कुमारपाल के गुरु कलिकाल सर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्राचार्य थे, गुजरेश कुमारपाल ने अठारा देशों में अहिंसा भगवती का झंडा फहराया था, जैनधर्म का प्रचार करने में भरसक प्रयल किया था हजारों मन्दिरों का जीर्णोद्धार और हजारों नया मन्दिर बनवाके पुन्योपार्जन किया था स्वाधर्मी भाइयों की ओर आपका विशेषलक्षथा आपके राजत्व काल में गुजर देश बड़ा ही समृद्ध