Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 37
________________ प्राचीन जैन इतिहास संग्रह ३६. कक्कसूरि के परमोपासक एवं भक्त था इसने श्रीऋषभदेव का एक विशाल मन्दिर बनवाया और तीर्थ यात्रा निमित विराट संघ निकाल के महान् पुन्यापार्जन किया था । इनका सत्ता समय वी० नि सं० ३५८ का है । "उपकेश गच्छ पट्टावलि” (२४) संखपुर नगर का राजा संखपाल जैन राजा यह नृपति भी महाराजा उत्पलदेव के घराने में बड़ा ही पराकर्मी और वीर हुआ जिसने संखपुर नाम का नगर बसा कर वहां का शासन किया । विदेशियों के साथ बड़ी वीरता से युद्ध कर देश वधर्मं का रक्षण किया। आपके पुत्र देवार्जुन ने आचार्य ककसूर के पास १६ वर्ष की उमर में भगवती जैन दीक्षा को ग्रहण की। आप जैन धर्म के कट्टर प्रचारक थे और लाखों जैनों को जैन बना के जहां तहां जैन धर्म की खूब प्रभावना की । आपकी कई पिढ़ियों के राजाश्रों ने जैनधर्म पालन करते हुए बड़ी योग्यता से राजतंत्र चलाया । इनका सत्ता समय वी० नि० सं० ३६० का है । “उपकेश गच्छ पट्टावल " (२५) मंडोवर का राजा महाबली - जैनराजा महाराजा महाबली एक समय शिकार खेलने को जा रहे थे उस समय आचार्य देवगुप्तसूरि पद भ्रमन करते जंगल में आ निकले और वनचर जीवों पर तथा राजा पर कारुणाभाव लाकर राजादि को धर्मोपदेश दिया। फुल स्वरूप में उन्हों पर "अहिंसा परमोधर्म" का इतना प्रभाव पड़ा कि मांस मदिरा का त्याग कर

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