Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ ४५ जैन राजाओं का इतिहास ईयों के समय श्री सिद्धगिरी जाकर आठ आठ दिन वहाँ मोह-- त्सव पूर्वक भक्ति करता था। प्राचार्य श्री के उपदेश से शल्यादित्य राजा ने तीर्थाधिराज शQज्य का उद्धार भी करा पाया था। * इनका समय वी० नि० पांचवी शताब्दी का है । (४१) सोपारक पट्टन का राजा जयकेतु-- जैन राजा आचार्य देवगुप्तसूरि एक समय सोपारक पट्टन पधारें । वहाँ एक यक्ष का बड़ा भारी उपद्रव था। राजा जयकेतु और नागरिक लोग आचार्यश्री से अपनी दुःख की गाथा कही और उपद्रव शान्ति की अर्ज करी। दयानिधी प्राचार्यदेव ने अपने आत्मबल और मंत्र शक्ति से यक्ष को बस कर नगर में शान्ति वरताई। चमत्कार को नमस्कार ? राजा और प्रजा सूरिजी के परमो पासक बन गये। वहाँ पर श्री महावीर भगवान् का नया मन्दिर बनवा के सूरिश्वरजो के कर कमलों से उसकी प्रतिष्टा करवाई-इत्यादि । इनका समय वी०नि० छठी शताब्दी का है ___उपकेश गच्छ पहावलि" तेषां श्री कक्क सूरीणं शिष्याः श्री सिद्ध सूरयः। वल्लभी नगरे जग्मविहरतो मही तले ॥ ३ ॥ नृपस्तन शिलादित्यः सूरिभिः प्रति बोधितः । श्री शत्रुजय तीर्थेश उद्धारान् बिदंध बहन ॥७४ ॥ प्रति वर्ष पयूषणेस चतुर्मासीकः श्रये । ____ श्री शत्रुजय तीर्थे गत यात्राये तृपरूतम ॥७५॥ (वि० सं० १३९३ लिखे उपकेश गच्छं चारित्र से )

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66