Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala
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प्राचीन जैन इतिहास संग्रह
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जनता के कल्यानार्थ प्रेम और परोपकार का
ठीक उसी समय भगवान् महावीर ने अवतार धारण कर हिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, सन्तोष, संदेश भारत के चारों ओर बुलन्द आवाज से पहुँचाया । नीच उच्च का भेद भाव को मिटा के प्राणी मात्र को धर्म के अधिकारी बनाये । आत्म कल्याण कर स्वर्ग मोक्ष का हक सब को समान रूप में दे दिया। फिरतो देरी ही क्या थी, सर्वत्र शन्ति का साम्राज्य वरतने लगा । भगवान महावीर का प्रभाव केवल साधारण जन पर ही नहीं, पर बड़े बड़े राजा महाराजा पर भी खूब पड़ा, और क्रोड़ों की संख्या में महावीर के, शान्ति झंडे के नीचे जनता शान्ति पा रही थी । आज हम भगवान् महावीर के उपासक कतिपय राजाओं का ही यहां उल्लेख करना चाहते हैं— जो कि जिसके उल्लेख. जैनों के प्राचीन एवं प्रामाणिक अंगोपांग सूत्रों में विद्यमान हैं
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( १९ ) विशाला नगरी के - महाराजा चेटक, कट्टर जैन धर्मी थे। इन्होंकी बेहन त्रिशला महाराजा सिद्धार्थ को ब्याही थी जिन्होंकी कुक्ष से भगवान महावीर ने पवित्र जन्म लिया था । महाराजा चेटक के अधिकार में काशी कोशल के १८ गण राजा थे वह भी जैनधर्मोपासक हो थे । इन सबों ने भगवान् महावीर की परमोपासना की तथा अन्तिम समय भगवान् के पास पावापुरी में पौषध व्रत किये थे ।
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" निरियावलिका, और भगवती सूत्र” देश के - महाराजा उदाई व जैनी थे । आपने अपने भाणेज केशी
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( २० ) सिन्धु सोवीर महाराणी प्रभावती पक्के