Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 23
________________ प्राचीन जैन इतिहास संग्रह . हे मुनि सच्चा मान रखने वाले संसार भर में एक आप ही हो, दर्शानभद्र मुनि ने उसी भव में मोक्ष प्राप्त कर ली। . "उत्तराध्ययन सूत्र" ( २४ ) आवंती देश का सुदर्शन नगर के-महाराजा युग बाहु और उनकी महाराणी मैणराय पक्के जैन थे । "उत्तराध्ययन सूत्र" (२५) चम्पा नगरी के महाराजा दधीबाहन भी जैन धर्मापासक थे जिन्हों की पुत्री चन्दनबाला ने भगवान महावीर के पास सबसे पहले दीक्षा ग्रहण की थी। ___“ कल्पसूत्र" ( २६ ) काशी देश के महाराजा शंख ने भी भगवान् के पास दीक्षा धारण कर कल्याण कर लिया था। ___"ठाणायंग सूत्र" ( २७ ) विदेहदेश मिथीला नगरी के-महाराजा नमि ___(२८) कलिङ्ग पति महाराजा करकंडू - (२९) पंचाल देश-कपोलपुर के स्वामी महाराज दुमई (३०) गंधारदेश-पुंडवर्धन नगर के-नृपति निग्गई एवं चारों नृपति कट्टर जैन थे। अध्यात्म का अभ्यास करते चारों को साथ ही में ज्ञान हो आया और नाशमान संसार का त्याग कर उन्होंने जैन दीक्षा ग्रहण कर आत्म कल्याण कर गये। - "उत्तराध्ययन सूत्र" ( ३१ ) सुप्रीवनगर के महाराजा बलभद्र जैन श्रमणोपासक थे। आपके एकाएक मृगा पुत्र नामक, कुमार ने भग


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