Book Title: Prachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 14
________________ [ १३ ] कि इतिहास वाले भगवान महावीर को ऐतिहासिक पुरुष मानने में हिचकते थे उस समय भी हमारा आगम प्रमाण महावीरों को तीर्थंकर मानते थे जैसे ऋषभदेव को मानते हैं । इतिहासकारों ने महावीर को ऐतिहासिक पुरुष माना तो पार्श्वनाथ के लिये संकीर्णता बतलाई पर फिर भी पार्श्वनाथ को ऐताहासिक महापुरुष माना तो भगवान नेमिनाथ के लिये साधनों के अभाव वह ही बात उपस्थित हुई पर हाल ही में काठियावाड़ प्रान्त के ताम्रपत्र ने साबित कर दिया है कि नेमिनाथ ऐतिहासिक पुरुष हैं इस भाँति हमारा अनुमान और आगम प्रमाण ऐतिहासिक प्रमाण बनता जा रहा है । कान्ति - श्राप के तीर्थकरों का शरीर प्रमाण श्रायुष्य जो आपके किसी प्रमाण से आगमों में लिखा मिलता है उसे आप सिद्ध कर बतला सकते हो ? शान्ति - जो चार पाँच पुस्तक के पूर्व अपने पूर्वजों को मानने के लिये ही तैयार न हो उनके लिये मैं तो क्या पर ब्रह्मा भी समर्थ नहीं है पर सभ्य समाज इस बात को स्वीकार कर सकती है कि लाखों क्रोड़ों नहीं पर असंख्य वर्ष पूर्व इतना शरीर और आयुष्य होना किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं है । आप जब गणित शास्त्र से हिसाब लगाइये कि १००० वर्ष पूर्व के मनुष्यों का शरीर आयुष्यः कितना था एवं ५००० वर्ष पहिले - उसके आगे दश हजार वर्ष पहिले के मनुष्योंका शरीर और आयुष्य कितना बड़ा होगा यदि एक हजार वर्ष पूर्व के मनुष्यों का एक इंच शरीर ऊंचा और पाँच वर्ष की आयुष्य अधिक मानलें तो क्रमश: असंख्य वर्ष पूर्व के मनुष्यों का

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