Book Title: Poojan Vidhi Samput 04 Arhad Mahapoojan Vidhi
Author(s): Maheshbhai F Sheth
Publisher: Siddhachakra Prakashan

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Page 28
________________ * सूर्य पूरन : दुसुमारली 5रीने VAIEs (वसंततिGSI) विश्वप्रकाश कृतभव्यशुभावकाश, ध्वान्त-प्रतान-परितापन-सद्विकाश । आदित्य नित्यमिह तीर्थकराभिषेके, कल्याण पल्लवनमाकलय प्रयत्नात् ।। __ॐ सूर्य ! इह ० शेषं पूर्ववत् ।। १ ।। शु पूरन : कुसुमाली रीने साEिS (मालिनी) स्फटिक-धवल-शुद्धध्यान-विध्वस्त-पाप, प्रमुदित-दितिपुत्रो-पास्यपादारविन्द । त्रिभुवन-जन-शश्वञ्जन्तुजीवातुविद्य, प्रथय भगवतोऽर्चा शुक्र हे वीतविघ्नाम् ।। ॐ शुक्र ! इह० शेषं पूर्ववत् ।। २ ।। * मंगल पूरन : मुसुभारती इरीने NGIES (मार्या) बल-बलमितित-बहुकुशल - लालना-ललित-कलित-विघ्नहते । भौम जिनस्नपनेऽस्मिन्, विघटय विघ्नागमं सर्वम् ।। ॐ मड़गल ! इह शेष पूर्ववत् ।। ३ ।। * રાહુ પૂજન : કુસુમાંજલી કરીને જલાદિક (શ્લોક) अस्तांह: सिंहसंयुक्त, रथविक्रम-मन्दिर । सिंहिकासुत पूजाया, - मत्र सन्निहतो भव ।। ॐ राहो ! इह० शेषं पूर्वरत् ।। ४ ।।

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