Book Title: Poojan Vidhi Samput 04 Arhad Mahapoojan Vidhi
Author(s): Maheshbhai F Sheth
Publisher: Siddhachakra Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ ܀ ܀ શનિ પૂજન : કુસુમાંજલી કરીને જલાદિક फलिनीदल-नीललीलयान्तः स्थगित- समस्त वरिष्ठ विषजात । रवितनय नय प्रबोधमेतान्, जिनपूजाकरणैक- सावधानान् ।। १ ।। ॐ शने ! इह० शेषं पूर्ववत् ।। ५ ।। ચન્દ્ર પૂજન : કુસુમાંજલી કરીને જલાદિક (દ્રુતવિલંબિત) अमृतवृष्टि-विनाशित-सर्वदा-पचित-विघ्नविषः शशलांछनः । " वितनुतां तनुतामिह देहिनां प्रसृत-तापकरस्य जिनार्चने ।। १ ।। ॐ चन्द्र ! इह० शेषं पूर्ववत् ।। ६ ।। * जुध पून: सुभांसी झरीने बाहिङ (वृत्त) बुध विबुध-गणार्चितांघ्रियुग्म, प्रमथित- दैत्य - विनीतदुष्टशास्त्र । जिनचरण - समीपगोऽधुना त्वं रचय मतिं भवघातनप्रकृष्टाम् ।। ॐ बुध ! इह० शेषं पूर्ववत् ।। ७ ।। ૨૫

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108