Book Title: Poojan Vidhi Samput 04 Arhad Mahapoojan Vidhi
Author(s): Maheshbhai F Sheth
Publisher: Siddhachakra Prakashan
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कमलाक्षमलं विनयायतनं, विनयायतनं कमलाक्षमलम् । परमातिशयं वसुसंवलभं वसुसंवलभं परमातिशयम् ||२|| अतिपाटवपाटवलं जयिनं, हतदानवदानवसुं सगुणम् । उपचारजवार-जनाश्रयणं, प्रतिमानवमानवरिष्टरुचम् ।।३।। सरमं कृतमुक्तिविलासरमं, भयदं भयमुक्तमिलाभयदम् । परमं व्रजनेत्रमिदं परमं, भगवन्तमये प्रभुताभगवम् ।।४।। भवभीत-नरप्रमदाशरणं, शरणं कुशलस्य मुनीशरणम् । शरणं प्रणमामि जिनं सदये, सदये हृदि दीप्तमहागमकम् ।।५।। (जगति०) क्षमायायना : आशातना या किल देवदेव, मया त्ववर्चारचनेऽनुषक्ता । क्षमस्व तं नाथ कुरु प्रसादं, प्रायो नराः स्युः प्रचुरप्रमादाः ||१|| नमुत्थुए ... धूप बने (राग स्त्रग्धरा ) ऊर्ध्वाधोभूमिवासि०
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