Book Title: Poojan Vidhi Samput 04 Arhad Mahapoojan Vidhi
Author(s): Maheshbhai F Sheth
Publisher: Siddhachakra Prakashan
View full book text
________________
૨૨
* વરૂણ પૂજન : કુસુમાંજલી કરીને જલાદિક
कल्लोलानीतलोला-धिककिरणगण-स्फीत-रत्नप्रपञ्चप्रोद्भूतौर्वाग्निशोभं वरमकरमहा-पृष्ठदेशोक्तमानम् । चंचच्चीरल्लिशृंगि-प्रभृति-झषगणैरंचिचं वारूणं नो,
वर्णच्छिन्द्यादपायं त्रिजगदधिपतेः स्नात्रसत्रे पवित्रे ।। ॐ वरूण ! इह० शेषं पूर्ववत् ।।५ ।। * वायु पूरन : दुसुमारली रीने KeIS (मालिनी)
ध्वजपटकृतकीर्ति-स्फूर्तिदीप्यद्विमान - प्रसृमरबहुवेग-त्यक्तसर्वोपमान | इह जिनपतिपूजा-सन्निधौ मातरिश्वन, नय नय समुदाय मध्यबाह्यातपानाम् ।।
__ ॐ वायो ! इह० शेषं पूर्ववत् ।। ६ ।। * दुणेर पूरन : ईसुमाली रीने NGIES (वसंततिGSI)
कैलासवास विलसत्कमलाविलास, संशतहास कृतदौस्थ्य-कथानिरास । श्रीमत्कुबेर भगवन् स्नपनेऽत्र सर्व,-विघ्नं विनाशय शुभाशुभ शीघ्रमेव ।। १ ।।
ॐ कुबेर | इह० शेषं पूर्ववत् ।। ७ ।।
Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108