Book Title: Paumchariyam Part 04 Author(s): Parshvaratnavijay Publisher: Omkarsuri Aradhana Bhavan View full book textPage 5
________________ Jain Education International प्रकाशकीय पू. आ. भ. श्री अरविंदसूरी म.सा., पू.आ.भ. श्री यशोविजयसूरि म.सा. आदिनी प्रेरणा- मार्गदर्शनपूर्वक आ ग्रंथमाळामां अनेकविध ग्रंथरत्नो प्रगट थई रह्या छे. 'पउमचरियं' ग्रंथना ४ भागना प्रकाशन माटे पू. आ. भ. श्री मुनिचन्द्रसूरि म.सा. प. पू. मुनिराज श्री पार्श्वरत्नविजयजी म.सा. ने प्रेरणा अने मार्गदर्शन आप्युं अने अमारी ग्रंथमाळामां आ महाकाय ग्रंथ प्रगट करवा भलामण करी अ प्रमाणे आ ग्रंथ अमारी संस्था द्वारा प्रकट करता अमो आनंद अनुभवीओ छीओ. प्रस्तुत ग्रंथ प्रगट करवा माटे पू. मुनिराज श्रीपार्श्वरत्नविजयजी म.सा. तेमज साध्वीश्री महायशाश्रीजीओ आ ग्रंथमां प्रुफ संशोधनादि कार्योमां श्रुतभक्तिथी प्रेराई भारे जहमत उठावी छे. तेनी अमो भूरी भूरी अनुमोदना करीओ छीओ. आ साहित्यनो स्वाध्याय करी सहु आत्मकल्याणने वरे से ज अभिलाषा. For Personal & Private Use Only लि. प्रकाशक www.jainelibrary.orgPage Navigation
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