Book Title: Paumchariu Part 2
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 7
________________ १० पूर्वभव प्रसंग दार्शनिक वाद-विवाद २३५ लक्ष्मणको रोष २३५ राजा द्वारा मुनियोंकी प्रन्त्रणा २४३ हनियों द्वारा डाल २५३ राजाको नारकीय यातना २४७ जटायुका व्रत ग्रहण करना, रत्नों की आभासे उसके पंख स्वर्णमय हो जाना लक्ष्मणका वंशस्थल में प्रवेश सूर्यहास खड्गकी प्राप्ति पउमचरिय छत्तीसवीं स रथपर राम-लक्ष्मण का लीलापूर्वक बिहार क्रौंचनदी के तट पर विश्राम शम्बूक कुमारका वष सोता देत्रोको चिन्ता चन्द्रखाका प्रलाप उसका राम-लक्ष्मणपर आसक्त होना कामावस्थाएँ रामका नीति- विचार दोनोंका उसे ठुकराना सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार स्त्रियों का वर्णन Aatea सन्धि चन्द्राका विरूप रूप २४७ २४९ २५१ २५१ २५३ २५३ २५३ २५५ ३५९ २५९ २६१ २६१ २६३ २६७ चन्द्रखाका पतिको भत्र हाल बताना खरका पुत्रशोक सुखका प्रारम्भ लक्ष्मण की शूरवीरता लक्ष्मणकी विजय २९७ चन्द्रनखाका बात बनाना भाइयों में परामर्श खरकी प्रतिज्ञा रावणको खबर भेजकर युद्धकी तैयारी २६९ २७१ २७३ २०३ ૨૭૨ कामवासना उत्पन्न होना सोताका नखशिख वर्णेन रामसे ईर्ष्या २७५ २७९ २८१ २८३ अड़तीसवीं सन्धि रावणके नाम दूषणका पत्र २८३ रावण द्वारा लक्ष्मणको सराहना २८३ सीताको देखकर रावणकी २८५ २८५ २८७ २८७ रावणका उन्माद ramfeat सहायता की याचना और उसका उत्तर २८९ सिह्नादकी मुक्तिका सुझाव कुमार लक्ष्मणको युद्धक्रीड़ा सिह्नाद सुनकर रामका युद्धमें पहुँचमा २९१ २९३ २९३

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