Book Title: Patanjal Yogdarshan tatha Haribhadri Yogvinshika
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 10
________________ स्पष्ट और सर्वाग परिपूर्ण है । म काग्ने पुरा प्रकाश डाला है. जि, टीकाके देखनेसे ही हो सकेगा। ___पाठकोंसे हमाग अनुरोध है काको पढकर टीकाकारकी बहुश्रुन शाम्रदोहनका थोडे ही में आस्वार ग्रन्थकर्ता ऊपर जिस वृ है. उनके रचयिता जैन विद्वान उ योगविंशिकाकी टीकाके कर्ता योगसूत्रके प्रणेता वैदिक विद्वान् योगविशिकाके रचयिता जैन इस प्रकार यहाँ ग्रन्थकर्तास्पसे उ कराना आवश्यक है। (१) पतञ्जलि-इनके . समय आदिके विषयमें विद्वानोंने अभीतक यही निश्चित नहीं हुआ पाणिनीय व्याकरणसूत्र पर भाष्य नामसे प्रसिद्ध पतञ्जलिसे जुदा थे भाष्यकार और योगसूत्रकार पत सम्बन्धमे आजतक कीगई खोजों करने के लिए न तो हमने पर्याप्त न उसकी अधिक गवेषणा करने प्राप्त है, इसलिए इस विषयके । भावसे अन्य विद्वानोंकी गवेषणा रिश करते हैं।

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