Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthanam

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Page 315
________________ २७४ १४/२३ १०/४५ ११/३३ १४/४९ त्ता ६/३६ १३/४६ १८/३४ ११/१५ ४/१८ ६/१२ ९/४२ १४/२५ ४/८ परिशिष्टम्-२ तत्थवि य ७/४६ तत्थुग्गमो पसूई १३/४ तप्पुब्बिया अरहया ८/४० तप्पूयापरिणामो ८/४२ तम्मि असंते राया ९/२१ तम्हा उ तदाभासा ३/४५ तम्हा जहोइयगुणो ११/४९ तम्हा जे इह सुत्ते १४/४४ तम्हा णिच्चसतीए १/३६ तम्हा विसेसओ चिय १३/३६ तविहिसमुस्सुगो खलु १५/१३ तस्स उ पवेसणिग्गमवारणजोगेसु ५/२१ तस्सवि य इमो णेओ ७/१८ तह आउट्टियदप्पप्पमायओ १५/१८ तह चेईहरगमणं १/४३ तह तइलपत्तिधारगणायगओ १४/२९ तह तम्मि तम्मि जोए १०/४७ तह परहियम्मि जुत्तो १५/१५ तह सुत्तबुड्भिावे १८/३० तहऽणत्थदंडविरई १/२३ तहकिरियाऽभावाओ १३/४० तहविय अठायमाणे १६/१३ ता उद्धरेमि सम्म १५/४५ ता एयं मे वित्तं ७/२८ ता एयंमि पयत्तो १६/३२ ता एयपुव्वगं चिय ४/२७ ता एयाणुट्ठाणं ४/३९ ता एवं चिय एवं १६/४५ | ता एव विरतिभावो ता कम्मखओवसमा | ता गीयम्मि इमं खलु ता णंतसोऽवि पत्ता | ता तंपि अणुमयं चिय ता तहसंकप्पो च्चिय | ता तीए किरियाए | ता न चरणपरिणामे | ता नियविहवणुरूवं | ता भावत्थयहेऊ ता रहणिक्खमणादि वि | ता संसारविरत्तो | ताऽऽसि अविरोहेणं | तारिसयस्साभावे तित्थंकरणाणुप्पत्तितित्थंकरपडिकुट्ठो तित्थंकरभत्तीए तित्थगराणं आणा तित्थगरे बहुमाणा | तित्थगरे बहुमाणो तित्थयरणिग्गमाई | तित्थयरणिग्गमो खलु तित्थयरमोक्खगमणं तित्थस्स वण्णवाओ | तिविहाइभेयओ खलु तिव्वगिलाणादीणं | तीए य अविगलाए तुलणा इमेण विहिणा ८/८ १९/१२ १७/१८ १/३७ १५/६ ८/२७ ९/३७ १९/६ १९/१५ ९/२३ ३/५० १०/४२ १०/४१

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