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वर्णकादिविस्तारः
९५ सणाए छेइस्सइ । छेइत्ता जस्सट्टाए कोरइ नग्गभावे मु. ण्डभावे केसलोए बम्मचेरवासे अण्हाणगं अदन्तवणं अणुवहाणगं भूमिसेज्जाओ फलहसेज्जाओ परघरपवेसो लद्धावलद्धाइं माणावमाइं परेसिं हिलणाओ खिसणाओ गरहणा उच्चावया विरूवा बावीसं परोसहोवसग्गा गामकण्टगा 5
अहियासिज्जन्ति तम आराहेइ । आराहित्ता चरिमेहि उस्सासनिस्सासेहिं सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सचदुक्खाणमन्तं करेहिइ ॥
31-17 तेणं ओरालेणं जहा मेहो etc. The passage will be found in the ज्ञाताधर्मकथा ( Ed. of आगमोदय- 10 समिति ) on pages 73-75.
32-5 महाविदेहे वासे जहा दढपइन्नो जाव] अन्तं काहिइ. The full passage will be found under अड्ढाई जहा दृढपइन्नो in this Appendix.
34-16 चउहिं सामाणियसाहस्सोहिं [ जाव ] विहरइ. The 15 full passage runs as follows:
चउहि सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहि तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणियाहिं सत्तहिं अणियाहिवईहि सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहूहिं विमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवोहिं य 20 सद्धिं संपरिबुडे महयाहयनदृगीयवाइयतन्तीतलतालतुडियघणमुइङ्गपडुप्पवाइयरवेणं दिवाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणे विहरइ ॥ . 35-3 जहा सूरियामे...पडिगओ. This passage refers to practically the whole of the first half of the 25
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