Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya
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नायाधम्मकहाओ
[XVI.129
सन्नाहियं भेरि तालेह तेवि तालेति । तए णं तीए सन्नाहियाए भेरीए सई सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव छप्पन्नं बलवगसाहस्सीओ सन्नद्धबद्ध जाव गहियाउहपहरणा अप्पेगइया हयगया अप्पेगइया गयगया जाव मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति २ करयल जाव वद्धाति । तए णं से कण्हे वासुदेवे हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवर० हयगय महया भडचडगरपहकरेणं बारवईए नयरीए मझमझेणं निग्गच्छइ जेणेव पुरथिमवेयाली तेणेव उवागच्छइ २ पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं एगयओ मिलाइ २ खंधावारनिवेसं करेइ २ पोसहसालं करेइ २ पोसहसालं अणुप्पविसइ २ सुट्टियं देवं मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ । तए णं कण्हस्स वासुदेवस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सुट्टिओ जाव आगओ [एवं वयइ-] भण देवाणुप्पिया! जं मए कायव्वं । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्टियं एवं वयासी – एवं खलु देवाणुप्पिया ! दोवई देवी जाव पउमनाभस्स भवणंसि साहियाँ । तण्णं तुमं देवाणुप्पिया ! मैम पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं लवणसंमुद्दे मग्गं वियराहि जा णं' अहं अवरकंकारायहाणिं दोवईए कूवं गच्छामि । तए णं से सुटिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया ! जहा चेव पउमनाभस्स रन्नो पुव्वसंगइएणं देवेणं दोवई जाव साहिया तहा चेव दोवइं देविं धायईसंडाओ दीवाओ भारहाओ जाव हत्थिणारं साहरामि उदाहु पउमनाभं रायं सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि ? तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासी - मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव साहराहि । तुमं णं देवाणुप्पिया! मम लवणसमुद्दे पंचहिं पंडवहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं मग्गं वियराहि । सयमेव णं अहं दोवईए कुवं गच्छामि । तए णं से सुट्टिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी – एवं होउ णं । पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियरइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे चाउरंगिणिं सेणं पडिविसज्जेइ २ पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टे छहिं रहेहिं लवणसमुहं मझमज्झेणं

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