Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya
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नायाधम्मकहाओ... ---[XVIII.143जहा वि य णं जंबू! धणेणं सत्यवाहेणं नो वण्णहेर्स वा नो रूवहेउं वा नो बलहेउं वा नो विसयहेउं वा सुंसुमाए दारियाए मंससोणिए आहारिए नन्नत्थ एगाए रायगिहं सपांवणट्ठयाए एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा इमस्स ओरालियसरीरस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियासवस्स जाव अवस्सविप्पजहियव्वस्स नो वण्णहेउ वा नो रूवहेउं वा नो बलहे वा नो विसयहेडं वा आहारं आहारेइ नन्नत्थ एगाए सिद्धिगमणसंपावणट्ठयाए से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूँणं सावियाणं अञ्चणिज्जे जाव वीईवइस्सइ ।
एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठारसमस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ।
॥ अट्ठारसमं नायज्झयणं समत्तं ॥१८॥

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