Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya

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Page 225
________________ 218 नायाधम्मकहाओ - [XIX.149चिट्ठइ । तए णं पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी - अट्ठो भंते ! भोगेहिं ? हंता! अट्ठो। तए णं से पुंडरीए राया कोडुंबियपुरिसे सहावेइ २ एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव रायाभिसेएणं अभिसिंचइ। ___(147) तए णं से पुंडरीए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमेव चाउज्जामं धम्म पडिवज्जइ २ कंडरीयस्स संतियं आयारभंडगं गेण्हइ २ इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ - कप्पइ मे थेरे वंदित्ता नमंसित्ता थेराणं अंतिए चाउज्जामं धम्म उवसंपजित्ताणं तओ पच्छा आहारं आहारित्तए त्तिकटु इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ताणं पुंडरिगिणीओ पडिनिक्खमइ २ पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव पहारेत्थ गमणाए । (148) तए णं तस्स कंडरीयस्स रन्नो तं पणीयं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स अइजागरएण य अइभोयणप्पसंगेण य से आहारे नो सम्मं परिणए । तए णं तस्स कंडरीयस्स रन्नो तंसि आहारंसि अपरिणममाणंसि पु० रत्तावरत्तकालसमयसि सरीरगंसि वेयणा पाउन्भूया उज्जला विउला पगाढा जाव दुरहियासा पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवकंतीए यावि विहरइ । तए णं से कंडरीए राया रज्जे य रटे य अंतेउरे य जाव अझोववन्ने अट्टदुहट्टवसट्टे अकामए अवसवसे कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालहिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववन्ने । एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वइए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोए आसाएइ जाव अणुपरियट्टिस्सइ जहा व से कंडरीए राया ।। (149) तए णं से पुंडरीए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ थेरे भगवंते वंदइ नमसइ २ थेराणं अंतिए दोच्चंपि चाउज्जामं धम्म पडिवजइ छट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ २ जाव अडमाणे सीयलुक्खं पाणभोयणं पडिगाहेइ २ अहापजत्तमित्तिकटु पडिनियत्तेइ जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ भत्तपाणं पडिदंसेइ २ थेरेहिं भगवंतेहिं अब्भणुनाए समाणे

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