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नयों के मूल भेद द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक और निश्चय-व्यवहार, इन दोनों युगलों को, नयों के मूल भेद मानकर भी अन्ततः यही निष्कर्ष निकलता है कि नयों के मूल भेद निश्चय-व्यवहार ही हैं, द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक तो उनके हेतु होने से उन्हें भी मूल नय कहा गया है।
अभ्यास-प्रश्न 1. नयों के भेद कितने-कितने प्रकारों से किये गये हैं? .. 2. मूलनय कितने हैं? दोनों विवक्षाओं को स्पष्ट कीजिए। 3. निश्चय-व्यवहारनय और द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिकनयों के अन्तर को चार्ट .. ___ द्वारा समझाइए। 4. 'अध्यात्म का हेतु आगम हैं' - इस वचन को सिद्ध कीजिए। 5. निश्चय और व्यवहार - दोनों नयों के पृथक्-पृथक् हेतु द्रव्यार्थिकपर्यायार्थिक - दोनों नय किस प्रकार हैं?
दोनों नय में जो विरोध है, उसे नष्ट करने वाले। स्यात्कार पद से चिर अंकित, जिन-वच में रमनेवाले।। स्वयं मोह का वमन करें जो कुनय पक्ष कर सके न खण्ड। परम ज्योतिमय समयसार को, शीघ्र लखें वे पुरुष प्रचण्ड।।
- समयसार कलश, 4