Book Title: Nay Rahasya
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 418
________________ 373 सप्तभंग 3. क्रम से अस्तित्व-नास्तित्व दोनों कहे जा सकते हैं। इसी प्रकार, नहीं कहे जा सकने के सन्दर्भ में चार स्थितियाँ निम्न प्रकार बनती हैं - ___1. एक साथ दोनों धर्मों को नहीं कहा जा सकता। 2. अस्तित्व तो कहा जा सकता, परन्तु उस समय सम्पूर्ण वस्तु को नहीं कहा जा सकता। 3. नास्तित्व तो कहा जा सकता है, परन्तु उस समय सम्पूर्ण वस्तु को नहीं कहा जा सकता। 4. अस्तित्व-नास्तित्व दोनों क्रमशः कहे जा सकते हैं, परन्तु एक साथ सम्पूर्ण वस्तु को नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार तीन भंग वक्तव्य सम्बन्धी और चार भंग अवक्तव्य सम्बन्धी - कुल मिलाकर अस्तित्व-नास्तित्व सम्बन्धी सात भंग हो जाते हैं, जिन्हें हम कथंचित् शब्द लगाकर इसप्रकार व्यक्त करते हैं - ___ 1. कथंचित् घट है, 2. कथंचित् घट नहीं है, 3. कथंचित् घट है भी और कथंचित् घट नहीं भी है, 4. कथंचित् घट अवक्तव्य है 5. कथंचित् घट है और अवक्तव्य है 6. कथंचित् घट नहीं है और अवक्तव्य है और 7. कथंचित् घट है, नहीं है और अवक्तव्य है। प्रश्न 3 - भंग सात ही क्यों होते हैं, कम या अधिक क्यों नहीं? उत्तर - सप्तभंगी तरंगिणी में इस प्रश्न का उत्तर इसप्रकार दिया गया है - “प्रतिपाद्य प्रश्नों के सात प्रकार होने से सात ही भंग होते हैं। प्रश्न - प्रश्न सात ही क्यों होते हैं? उत्तर - क्योंकि जिज्ञासाएँ सात प्रकार की होती हैं। . प्रश्न - जिज्ञासाएँ सात ही प्रकार की क्यों होती हैं?

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