Book Title: Nay Nirupan
Author(s): Shivcharanlal Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ 26. 27. 28. 29. 30. 31. 32. 33. 34. 35. 36. 37. 38. 39. 40. 41. 42. 43. पर्याय- व्युत्क्रम, नियतिवाद, अशलमरण अकालमरण उपादान निमित्त समयसार निश्चय - व्यवहार स्वरूप व्यापक चर्चा व्यवहार भी उपादेय व्यवहार से निश्चय एवं निश्चय से व्यवहार ज्ञानी का स्वरूप कर्त्ता - कर्म भाव पाप-पुण्य लोहे सोने की बेड़ी कर्मबन्ध का स्वरूप सम्यग्दर्शन के विषयभूत नव- पदार्थों का स्वरूप नय - निरूपण स्थल नय - निरूपण का वाच्यार्थ कारकों के परिप्रेक्ष्य में आचार्य ज्ञानसगर महाराज के नय निरूपण का सारांश निश्चयाभास व्यवहाराभास उभयाभास 35≈ 8 5 8 8≈ 2 2 2 2 56 58 61 62 66 67 68 71 80 82 85 87 91 92 95 96 96

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 106