Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ 100 णायकुमारचरिउ [6. 10. 1 10 Nagakumara meets sage Srutidhara and listens to his religious discourse. वरभवणजाणवाहणसयणासणपाणभोयणाणं च / वरजुवइवत्थभूसणसंपत्ती होइ धम्मेण / / घृतप्लवप्लावितगारुडोदनं दधीन्दुकुन्दोज्ज्वलकान्तिपेसलम् / मरीचिखण्डाम्लितशोकसंयुतं ददाति दंदास्यति यः स धन्यः / अण्णहिं वासरे कयवयकि रियउ सुइँहरु णामें परमाईरियउ / णंदणवणे फलिहसिलायलय उवविठ्ठउ ससहरणिम्मल। झसचिंधे दिहिहें ढोइयउ पुणु पुणु वंदिउ पोमाइयउ / पुच्छियउ धम्मु जइ वजरई जो सयलह जीवहं दय करइ / जो अलियपयंपणु परिहरइ जो सच्चसउच्चे रइ करइ। पेसुण्णउ कक्कसवयणसिहि ताडणबंधण विदवणविहि / जो ण पउंजइ खयभीरुयह दीणाणाहहं पसरियकिर्वहँ / जो देइ महुरु करुणावयणु परदव्वे ण पेरइ कह व मणु / वजइ अदत्त णिय पियरवणु जो ण घिवइ परकलत्ते णयणु / जो परहणु तिणसमाणु गणइ जो गुणवंतां° भत्ति थुणइ / घत्ता-एयई धम्महो अंगई जो पालइ अविहंगई। सो जि धम्मु सिरि तुंगई अण्णु कि 'धम्महो सिंगई // 10 // 11 On inquiry the sage relates the history of Vanaraja's ancestors, आउच्छिउ पुणु मयणेण जइ. वणराउ चिलाउ कि ण णिवइ / किं णरवइ कहिँ वि वसंति वणे णउ फिट्टइ वट्टइ भंति मणे / ता पभणइ मुणि सुणि विविहघर सुपसिद्धपुंडवद्धणणयर / अवराईउ महिवइ छिण्णदुहु ' सो सोमवंसरुहु सोममुहु। देविउ सञ्चवइ वसुंधरिउ णेहुजल सासवसुंधरिउ / तहे एकहे अइबलु भीमवलु अण्णेकह णंदणु दलियखलु / रिसि जायउ इंदियपसरु हिउ अवराइउ रज्जु मुएवि थिउ / अइबलु बलेण सहुँ णीसरिउ एत्थेत्थ बप्प सो अवयरिउ / घत्ता-कुसुमियफलियमहावणु वण्णफुल्लविविहावणु / वहुववहारपवणु एउ तेण किउ पट्टणु // 11 // 10.1.CE मंजुवाजनं. 2. E ददावि. 3. C सुअहरु; E सुवहरु. 4. E परमायरियउ. 5. E जोइयउ. 6. E ए. 7. E भीरुवहं. 8. रुवह; E उयहं. 9. C संखाहिउ तिणसमाण. 10. हं. 11. E वि. 11.1. E रायउ, 2. E हि. 3. A वालियउ. 4. Dहु. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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