Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ 184 णायकुमारचरिउ 11 : 2. एउ-एतत्पत्तने / 3. सहियत्तणु-स्वहितत्वम् / 10. सिरिमइपुत्तिहे-पृथ्वीदेव्याः / 11. जिण्णवत्थ-जीर्णवस्त्र / 'णियंसणं-निवसना / तणएं-पुत्रेण / 12 : 1. परयारिउ-पारदारिकः किं अहम् / विज्झाडिय-ताडिता अपमानिता। 4. चाईत्यागिनः त्यागवादिनः / टिंटहें-तस्थानम् / 5. कडित्तु-फलकं / कित्तउ-उडित वस्तु, क्रीत / 9. ठवलु-वस्तु उडितं / 10 वलियहं-बलिष्ठानां / 13 : 3. आवंति न थक्कइ-न आगच्छति किन्तु तिष्ठति / 4. उर-पुर। जूवारे-छूतकारेण / 5. कण्णपवित्तउ-उंगनीpमात्रं तदपि जितम् (?) / दोहित्ति-दोहित्रेण / 6. तुहिक्कउ-तूष्णीकः मौनवान्, तूष्णीस्थितः / 14. छाया-कांतिर्माहात्म्यं / 14 : 3. वंकाणणु-कंठे मुखे वक्रत्वात् / 3. कसहो-नाडी कसौटी पक्षे कसश्चर्यजष्टिका (?) ण वच्चइ-न गच्छति / णट्रउ-भृष्टः / 4. जसु-जस ताडने तर्जनकः / णरसम-नराणां श्रमकर्ता / शनैश्चरश्व पितुरपि / नराणां-मनुष्याणाम् / पक्षे नरस्य अर्जुनस्य च श्रमोत्पादकः / रविनंदनः शनिः कर्णश्च / पक्षे अश्वः बाघाकर्ता लोकवत् / ग्रीवा हस्तः / 5. लंकेसउ-लंकाया ईश्वरो रावणः लंकानां वा नूपुराणां ईश्वरश्चणकः। जवलदविसेसउ-जवानां धान्यविशेषाणां / जवस्य वेगस्य वा लब्धविशेषः प्राप्तभेदः / 6. दिब्ब-णिउन्म-ज्यतिशयेन नियमन वा उद्भुतखुरः / दित्त-दोप्त / विस्थिण्णु / पच्छल-कटीभागः / ७.परियत्तणु-भ्रमण। ८.विहोडणु-विघटकः। आसवार-सादिनाम् / 10. गिमपयंगउ--ग्रीष्मरविः / 11. सूरि-शालिहोत्र-पण्डितः / बहुभंगहिं-विचित्रः वचनैः / णीवंगई-नृपाने, नीचांगानि कृत्वा वा। 15 : 6. छिण्णउ-पृथक् / 8. भूयगाम-सर्वजीव / गामहं ग्रामो वृत्यावृतः। द्रोणामुहहंद्रोणाख्यं सिंधुवेला जलधिवेला वलयितं / उड्डावइ-जः आगतः उजाडयति / कालमुहु-मृत्युं / 9, णयरई-नागरान् जनान्; नगरान् नागरिकजनांश्च घातयन् / बाह-बाधा / संबाहण-बाहनमधिरूढम् / 10. कवडवडवंदण-कटमदनगल्लस्थलभंजन / कपाट-पट / वड पाठे वटवृक्षः, रक्तचंदन / 11. खडयासी-तृणसमूह खडोपजीविनः। 12. जगडंतउ-भंजन् / मंदण-युद्ध / 14. महुँमधुवर्णः / दुर्जनोऽपि मुखे मृष्टः, न तु अभ्यन्तरे धवल: / मुहरुहहो-दन्ते, दन्तैः / 16 : 1. दाणवंतु-मदवान् / उवलसएहिं-पाषाणशतैः / 2. स्यण-रत्नं दन्तश्च / 3. आराफुरिय-दण्डाने आर / 4. हरि-अश्व / 6. गयगयदंत-गतदन्तमुसलाः सन्त: नष्टाः श्रीधरस्य गजाः / दलवट्टिय-चूर्णिताः / लालाविंडि-मुखकाषं लालापिण्डी। विहटिय-श्रीधर-गजानाम् अन्योन्य सोंडासंघट्ट / 7. तुरय-अश्वाः / तालव?-तालवर्तेन, ताड-वृक्षण। थड-संघात / पय-पादप्रहारा / 8. पायहो-गजात् / गिरिरायहो-हिमवतः / 9. राणउ-जयंधरः / 14. पोमाणण-लक्ष्मी-मुख, पद्मिनी कमलम् / 15. पीलु-हस्ती। 17: 1. तणउ-तनयः। 2. गिरिंदधाउ-धातु गेरुप्रभृति / 3. सवण-कर्ण। गयणहणययरु-गगने नभश्चराः पक्षिणश्च गताः। 4. घिवण-मोचन / ५.गलरव-शब्द / रसिय-शब्दित / 6. वह-पथ, मार्ग। हिमसीयरु-शोतजलकण। ८..असरिसु-अनुपम / 9. हत्थु-हस्तनक्षत्र शुण्डा च / 12. कुंभे-शनिर्मकर-कुम्भयोः स्वस्थानम् / 13. हिउ-आरोपितः / सन्धि -4 1:4. परिमटुं-परिमृष्टः स्पृष्टः आलिंगितः कायः यस्य सः। °णिहवियड-वच्छं-सदृश-दृढवक्षः। थिरफलिह-भोगलसदृश / आयंबि-ईषत्ताम्र। 10. पयर्ड-प्रकट / जलघंघर-प्रलयकालसमुद्रवत् विघ्नकरो। 11. काल-यमो। 14. णिरहु-निरघः निष्पापः। 15. संजमधरु-नामेदं / 17. सुइत्तहिं-सुचित्तः। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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