Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ 192 णायकुमारचरिउ तीव्रगती। चेय-चैव / महियर-भूगोवरी। 10. चलंतहिं-चलतोः सतोः द्वयोरपि धारा लग्नाति / 13. खुडिउ-चुटितं त्रोटितम् / 15 : जमराय-यमगृहे प्राप्ते / 4. चदं-चन्द्रानाम्नी। वरचंदहो-वराणां मध्ये चन्द्रस्य / 6. धण-धनं चेत् याति तहिं यातु / 8: असहाय-असहाय-सहायकारि यद् जीवितव्यं तत् पविः वच. समानम् / 9. किमि-कृमयः / १०.घणतणासण-कठिनत्वनाशकाः / सन्धि८ 1:2. हिंडइ-महाव्यालः भ्रमति / 3. धयरट-हंस / 4. सिहि-मयूरः / कलु कणंतु-मधुरशब्दं कुवार्णः / जोइयउ-विलोकितः / 5. तरुणिहिं-महान्यालस्य राज्ञोभिः / मणियाई-कंठचेष्टितानि / 9. छप्पएण-भ्रमरेण धूर्तेन च / वाणदूण°-पानेन द्विगुणीभूतः / 10. सीय वि-शीता अपि / 12. अंबइयहे-चम्पककलिकायाः / 13. पमत्तउ-प्रकृष्टमत्तः / 14. जूहीयहे-यूथिकायाः / 2: वित्त-वृत्तं जातं दृष्टम् / 2. पावासिएण-प्रवासिकेन-पथिकेन / जयवइसुएण-महाव्यालेन / 3. पंडिराउ-पाण्ड्यराजः / 5. को मरई-ब्रह्मापि चिन्तयन् म्रियते, को वरइ जाहि वा पाठः / 6. चुणिएण-ज्वरेण (?) / हयंगहो-शीतज्वरयुक्तस्य, शीतज्वरयुक्तेन अजीर्णेन वा हताङ्गस्य / मत्तु-अन्न शालिः / 8. आवणे-हट्टे / 9. सुंदु-पराक्रमयुक्तः / 12. विवणि-हट्टे / 3: 1. पवहंत-प्रस्रुतवाष्पछटानद्या / 2. बलिवंडए-बलवत्तरेण / 5. वलु वलु-पश्चाद्गच्छ मम सम्मुखं तिष्ठ वा / 8. सरयण-रत्नजटित / वसुणंदय-खग। 13. विवक्ख-विपक्षः शत्रुः / 2. 4: 1. पीडिय सरेण-पीडिता स्मरेण कामेन / 2. मालइ-जातीपुष्प / चक्की-चक्रवाकी / चक्केण-चक्रवाकेन / 6. कहिं-कुतो भवान् / 7. सुहवइ-शुभवती। 9. पंडि-पाण्ड्यराजानं श्वसुरं पृष्ट्वा / चंडि-चण्डी त्वत्यन्तकोपना। 10. वरेहि-कन्यावाञ्छकैः श्रेष्ठः। 11. कलयंठि-कोकिल / 13. वरहि-त्वं वरं स्वीकुरु / ___5 : 1. अवसंति-वसन्तमासं विना जातीपुष्पं न विकसति / कण्ण-कन्या एव जाती। 3. पोसंतु-पोषयन्तु / 5. करेसमि-करिष्यामि सेवामहं, स मम स्वामी नागकुमार एव भविष्यति / 7. इच्छिउ न जाइ-यथा अहं न वाञ्छितः / इहु-एष नागकुमारः / 8. चीरु-पटः वस्त्रम् / तमालउ -तत्स्थानं नागकुमार-गृहं गतो व्यालः / वीरु-व्यालः / 9. मेइणि-गृहाङ्गणम् / विक्कमंतु 'चिक्क"गच्छन् / 10. मुणियउ-कुमाररूपं हृदि संपूर्णमागतं ज्ञातः / चित्तयारु-चित्रकरः / दे देहि लेहिलिख लिख पश्चात्परं देहि। लेखे पटे देहि वा। 11. दिट्ट-दृष्टः चित्रकरेण / 12. वालंकदेहु-व्यालनाम्नः शरीरम् / भिण्णु-उल्लसितम् / 13. चेल-पट / 14. खरकिरणदिणंतरे -- आदित्यवारे / मइणीए-मेनक्या / 15. पीढएण-आसनेन / 16. पडंचलु-परस्य वस्त्रस्य प्रान्तः / 17. अगंगयरुकामोत्पादकः / 6: 1. कोवंड-धनुः / 3. एहु-एष पटे लिखितः / वित्तेण विवजिउ-चित्रेण बिना चेत्साक्षादस्ति / 9. णवणवेण-नवीनवेगेन / 12. करहि करणु-दयां कुरु। 13. वुक्क-बुष्क भाषणे / 16. पियदूयहो -प्रियदूतस्य वचनः / 7:1. संतयाह-निरन्तरम् / उज्जेणिहि-सुखशतानां श्रेण्यां उज्जयिन्याम् / 2. हरिखंधसिंहस्कन्धसदृश / नोरंधु-अभेद्य अविघटनशील / 6. मेहवाल-मेघमाला। रइकइयवाल-रतिकपटपालिका। जीलवाल-कृष्णकेशा / 7. पयवडन-पादपतन / 8. पइज-प्रतिज्ञा / 9. काम- स्वेच्छया / 10. सइत्तएण-सावधानेन / 11. आउज्ज विज-वादित्र विद्या ( आतोद्य)। 12. आउ-आगच्छ / 13. णेहउरू-हृदयमर्म / वाहन / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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