Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ टिप्पण 191 1. विजय-दिग्विजय / 4. रक्खिय-रक्षिता सज्जनशोभा यैरस्माभिः ते वयम् / 5. जायहे-जातायाः पुत्र्याः उत्पन्नायाः / सससुयहो-नागकुमारस्य / णिमित्तें -निमित्त-वचनात् स्थापितायाः / 6. दुआसामहि-दूर्वावत् श्यामवर्णायाः / 8. विसयवइ-देशपतिः। 9. पज्जोयणु-प्रद्योतननामा। 5: 4. गुण-प्रत्यञ्चा। 10. धाराई–मार्ग चीहला / 11. रोसा 4-रोषपूर्णानि / 12. तिहुयण-नागकुमारस्य / 14. दुग्गा-पाजबांधवि / 15. टलटल इ-कम्पते / 19. सुकयाईसुकृतानि / 6:1. वच्चमि-गच्छामि / 2. वडढउ-वर्धताम् / 3. उज्जय-सरल कोमल / पिसुणकन्वुशत्रकाव्यं मांसं च / पहुपुरउ-राज्ञोऽग्रे / 5. सत्थई-शास्त्राणि शस्त्राणि च / वराणणे हे वरानने / 6. अज्जु धम्मु-पक्षे आर्यधर्मः / 7. णियत्तणु-निष्कर्षणं दानम् / सरिवि-स्मृत्वा / णियत्तणुनिवर्तनं पश्चाद्वलनम् / 8. चंचलु-मम मनश्चित्तं हृदयम् / 9. वेसावाडउ-वेश्यापाटके गुप्तं / सिवशिवा शृगाली / 10. आवगाउ-केवलं / वग्गउ-लग्नं चरितं / 12. सुसाउहे-सुस्वादायाः / साउहेसायायाः लक्ष्म्याः साया लक्ष्म्याम् / पराउहे-शत्रोरायुषः / 14. सरवरपिहिय-बाणाच्छादित-सूर्याणि / वर-समूह / 7:1. ललक्कइं-यमकिंकरसदृश / 2. उरयल-हृदये प्रविष्टत्वात् हृदयभृत् / 3. णिरिक्कईचौराः / गणियमिरिकइं-गणिकामत्सरकराणि / ४.°णिवडियाई-पतितानि / 5. पिंट-समूह / डेवियप्रोणित / 6. थोट्ट-समूह / विहव-ऐश्वर्य / मर-मानभक्षकानि / 7. लोहियाई-रक्तलोभिष्टानि रक्तीकृतानि वा। णीयइं-नीतानि / 8. रयमइयई-धूलिमलिनानि / विच्छुलियई-सिक्तानि / 9. पक्खलियई-प्रस्खलितानि / 10. असिणिहसणं-शस्त्राणां परस्परसंघट्टाग्निना / अग्गहिं-अप्रैः / 11. एहए-ईदृशे / वमाले-कोलाहले मेलापके / 12. दंडणाहु-सेनापतिः / 8:4. संगरे-युद्धे / पडिबल-शत्रुसैन्य / 6. अब्भुय-आश्चर्य / 9. एत्थाएं-अत्रागतेन / निमुंमिउ-विध्वस्तः निराकृतः / 9: सससुउ-भगिनीपुत्रः / 3. साहारिउ-वीरितः / 6. छुडु मा णासउ-यदि चेन्न नश्यति / 7. मउमड-मदोद्भटौ स्तनौ स्त्रियाः बद्धौ शोभाते / पडंति-स्तनाः भटाश्च पश्चात् पतन्ति / 10 : 1. णिवा-निपाः कुंभाः घटा इव / थविवि-केचन राजानः स्थापिताः / 4. कडयकडणि / 5. वउ-पदम् / 6. णियणाणवउंचलु-आत्मतत्त्वरूपि वस्त्रप्रान्तं प्रक्षालितं, ज्ञानावरणम् / 8. घित्तदेह-क्षिप्तशरीरा अम्बिका। 9. विरहय-रचित्वा। थाणु गयफल-आम्रवृक्षकीलके गतफलान्यागतानि पश्चात् / 10. विहाणइं-विधानानि / निलय- गृहाणि, जलस्थानानि / 13. पत्तलेख / पत्त-प्राप्तः। 11 : 1. गयउरवणा-हस्तनागराज्ञा अभिचन्द्रेण / 2. मुयमायर-मृत शुभचन्द्र / 3. कुरुकौरव / 5. दुम-वृक्ष / 7. विणीयउ-विनीताः / 8. सुहमाणण-हे कुमार / 9. पाडल-श्वेतहंस / 10. विहि-कर्म / 12. मरगय -श्यामवर्णा / 13. मइंमंदहो-बुद्धिहीनस्य / तेण-सोमेन / 14. पाणेसें-भी / 15. कुलिस कंठ-वज्रकंठपुत्रपित्रा / णहयर'-नभश्चरराज्ञा / 16. नियाउ-नीताः / 12 : 1. सुइ-कर्ण / 5. खगपुरिसेहि-विद्याधरैः / 13 : 1. णव जल°-ईदृशेषु गजेषु भूचरा खेचराश्च स्थिताः, अत्र सप्तम्यर्थे तृतीया। 3. साडीसारि, गजपल्याणम् / 4. हरि-अश्व / 7. जीवियाकाम-जीवितव्यवाञ्छा आसमन्तात् यस्य स त्वं गच्छ / कामिणिसुहं सरसु-स्त्रीसुखं स्मर / 14 : 1. मुक्खज्जय-मोक्षोद्यताः / 2. पेहुणवंत-पंखयुक्त / 5. चलइ णं-सुकण्ठः स्थानं न त्यजति मरणसमीपत्वात् तेन यमेन क्षयकालेन भक्षितः / 7. करिणा-नागकुमारहस्तिना। 8. पयगइ P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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