Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 266
________________ टिप्पण 189 सैन्यमारणी / डंमणिया-वंचिका / 19. जमसंखलिया-यमशृंखलासदृशी / 20. मयविमलिया-मदेन विह्वलं करोति / फणिमेहलिया-सर्पमेखला / 21. मरुचंचलिया-वायुवत् चपला / 22. रुई-दीप्त्या / 23. वीसासुहिया-विश्वासं हितं च करोति / 25. चंदकसिरी-चंद्रश्रीसूर्यश्री। 26. वारुणियादृष्टिकरी / 27. गहणासणिया-भूतनाशिका। कहपेसणिया-कथासंबन्धिनी समाचार-कथिका / 28. विज्जउ-विद्याः / 7: 1. विलइ-हे वनिते / 2. गंभीरयरे-गम्भीरतरे / 4. अच्छरिउ-आश्चर्यम् / ताएतया देव्या / 6. थुइवयणेहिं-स्तुतिवचनैः / 7. विहि-पुण्य / 8. रयणीयरु-कालवेतालं पृष्ट्वा द्रव्यं गहीतम् / णियपुण्णसुवण्ण-स्वपुण्येन प्राप्तं कसवरं; निजपुण्यमेव सुवर्ण तस्य प्रपन्नं प्राप्त कसु परीक्षा येन। 10. कमकीलए-पादक्रोडया / ढंढरु-राक्षसः / 12. जिणभवणु-चन्द्रप्रभचैत्यालयम् / 13. णियपिय-निजभर्तृ / 14. वाहिणिहिं-सेनाभिः, सेनया सह / 15. अंधिव-अंघ्रिपो वृक्षः। कंदउईदृशो भिल्ल: / तत्र कंदः जलं मेघो वा / 16. वाहि गइंदउ-व्याधिगजेन्द्रः; गजेन्द्रं वाहयित्वा पृष्टः / / 8:1. जग्गोहतरु-वटवृक्षः / पल्लहिउ-परावृतः / सवरु-भिल्लः / 2. दिट्ठउ -स्वामी दृष्ट: / आवासिउ-स्वयम् उषितः / सणरु-व्यालसहितः / जणत्तिहरु-लोकपीडानाशकः / 3. परियाणियउ-परिज्ञापितः; स्वराज्ञो ज्ञापितः / 4. ते-तेन वनराजेन / 6. गोत्तकउँ-गोत्रानुक्रम कथयति / 8. जोइहिं-मुनिभिः / समरहो-शवरस्य / 9. संदरिसिय-दर्शितसिंहव्याघ्रमुखायाः / 10. एत्थु-अत्राद्य / पिक्क-पक्क / 11. सहिणाणे-साभिज्ञानेन / 9:3. सरीरे-कायकान्त्या आभरणं द्योतितम् / 4. मोयणय –भोजनं चारु मनोज्ञम् / ससालणयं-सव्यंजनं / गहणन्व-वनवत् विस्तीर्णम् / ससाल-सालवृक्षसहितं वनं शशकजीवबन्धनयुक्तम् / 5. णेहमाव-स्नेहांचितं भृतं; पक्षे घृतादि, सद्भावभृतं च / कव्वं-मात्राभिः संवृतं काव्यं; भोजनं मात्रायुक्तम् / 6. गइकम्मु-गतिकर्मवत् / साउ-स्वायुरिव पुण्यपापस्वादयुक्तं; भोजनं सुस्वादु / णाणारसपवरं-भोजने तिक्तमधुरादयो रसाः; पक्षे शृङ्गारादयः रसाः / 7. संझामुहवं-सन्ध्यामुखं जनरक्तताकारक; भोजनं जनानुरागकरम् / कातंतं-कातंत्रव्याकरणवत, कातन्त्रे कादीनि व्यञ्जनानि, भोजने सालनंकानि / 8. कइवित्तं-श्लोकवत् / पयं-पदं पयश्च / गयं-गजा गदा रोगाश्च / 10 : 1. वाहण -अश्वादि / . गाण-पेयं वस्तु / 3. प्कवं-प्रवाह / प्लावित–सिक्त / गारुडोदनं-गरुडोद्गारतंदुल राजभोगवद् उत्तम / दधीन्दुकुन्दोज्वक-चन्द्रवदुज्ज्वल / पेसलं-मनोज्ञम् / 5. कयवयकिरियउ-कृतव्रतक्रियः / सुइहरु-श्रुतिधरः / परमाइरियउ-परमाचार्यः / पोमाइयउप्रशंसितः। 10. विदवणविहि-कर्णछेदादि पृथक्करणम् / 11. खयभीरुयहं-मरणभीतानाम / 12. करुणावयणु-दयावचः / 13. वज्जइ-त्यजति / णियपियरवणु-निजस्त्रीकान्तः, परस्त्रीपराङ्मुखः / 15. अविहंगइ-भंगरहितानि / 16. सिरि-मस्तके / 11 : 4. सरूहु-कुलोत्पन्न / सोममुहु-चन्द्रवदनः / 5. सास-धान्य / वसु-धनम् / 7. हिउ-हृतः / 8. भीमावलि -भीमबल-भुजबलेन / 9. बलेण-सैन्येन / 10. वण्णफुल्लब्राह्मणादिवर्णैर्वद्धित विविधहट्टमार्गम् / 12 : 1. धरणिछलु-वञ्चनं कृतं भ्रातृभूमेः / 3. तहो-महाभीमनाम्नः पुत्रः / 7. निहेलणहोश्वसुरगृहम् / सुहु चिंतिय-शुभं चिन्तयित्वा। 8. सदियर-आकारितः / 9. मइयए-भयेन / 11. सहि-सखी। 12. ससहरकंतिहरु-चन्द्रकान्तितिरस्करं। पुंडु-पाण्डुरं श्वेतं / 13. पसाउ भणेप्पिणु-प्रसादं भणित्वा / 14. पयारउ--प्राकारः। 13 : 1. विरामो-विनाशः / 2. परामेययामो-परैरनाकलितसामर्थ्यः। 3. समग्गं-परिपूर्णम् / अत्थाण-आस्थान सभा। 4. णिणा-नृणा, नरेण नागकुमारभृत्येन / 5. अवकं-अव समन्तात् रक्षक वा। विसंक-विगतशंकम् / विवंक-वैरिणामवकं / 6. मईयं--मदीयं, मत्या उपलक्षितं वा / 7. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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