Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ टिप्पण 187 4 : 2. नियवइसंकर-निजपति-सुखकराः। 10. हणरव-हण हण इति कोलाहलः / 13. हयथङ-अश्व-समूहः / 14. °आयडढणु-आकर्षणम् / 15. निम्मिच्चिहिं–निभृतैः वचनकरैः भक्तः / 16. सुरवरसरि-गंगा। 17. सयराणंदहि- स्वपरानन्दैः सगर-पुत्रैर्वा / 22. करह-करभ, उष्ट्र। 23. णिवसाहणइं-नृपसैन्यानि / 5 : 3. पासेहि-प्रासैः कुन्तैः / 4. दुरएहि-गजः / 5. घोटंति-घसरडइ (?) / 6. रोसावउण्णाई-क्रोधपरिपूर्णानि / 13. अइऊग-आगत्य / तहो-दुर्वाक्यस्य / 14. पियवम्मउत्तस्स-दुष्टवाक्यस्य पिता प्रियवर्मनाम / 16. णदिउ-वञ्चितः / 6 : उकेरउ-अंकुरः / 7. अणुट्ठउ-अनुतिष्ठतु करोतु / छुडु छुडु-यदि नु। 8. णिउ-नीतः 11. रमणीसरु-स्त्रीणां स्मरः / . 7: मालइ-सोरहु-जातिपुष्प-परिमल / 2. वासु–परिमल / 3. पुण्णायइ-पुष्षविशेष, नागकेसर, पुन्नागम् / पुण्णाउ-परिपूर्णायुवत्; पुण्यागमनमिति वा / पाणिपउमु-हस्तकमल / 4. वीणायारहं-कारकाणां वादकानाम् / 5. पमुह-मुख्यः / 6. वीणामासे- अभ्यासेन / 7. कित्तिधवलुकीतिघवलनाम्ना भाषितं कथितम / 9. विरंचि-ब्रह्मा / १२.णियणयणोहामिय-निजनेत्रतिरस्कृत / 8:1. उजल-लांछनरहित / 3. किण्णरिकतें-नागकुमारेण / 7. झसचिंधु-कंदर्पः / कस्सीरय-काश्मीरक-केसरं, कुंकुमं तेन परिमलितो युक्तः समीरो वायुर्यत्र / 9. णंदुराउ-नंदराजा सम्मुखमागतः / 10. दुचित्ती-अत्यासक्ता। 11. घएं-घृतेन जलभ्रान्त्या / 12. कुट्ट-उपलोट, आध (?) / 12. दारु-ताम्बलमध्ये खदिरसारं भणित्वा काष्ठं ददाति काथानि णाम / 13. अहअन्नमणअतीवान्यगतमना। 14. धूवह-विलोडयति वधारयति वा / जल संथइ-विलोडयति जलं. क्षीरं दधि मत्वा / असुत्तउ-सूत्रं विनापि / 15. सुहयहो-सुभगस्य / पिय-हे प्रिय / 17. उवठवियई-उपढोकितानि। 9 : 1. ईसीसि-ईषत् ईषत् हसता। 2. सोत्तई-कर्ण। पीणइ-पोषयति सुखयति वा / 4. जा-यावत् / 6. मुहुल्लउ-मुवम् / 7. छिप्पइ-द्रवति, स्रवति / 9. कह-कथा / 11. कामिणी-स्त्रीवत् गुणयुक्ता। 12. वीणासरु-वीणाशब्दः / कुसुमसरु-पुष्षबाण / 13. सुइसुसिरेकर्णछिद्रेण / 14. तिहुयणरइ-त्रिभुवनरती राजपुत्री / 10: 1. पुरणाहेण-नन्देन / 2. अहिणव-नवोनमुद्गवत् श्यामला। 3. अज्झासा-अध्याशा अधिकाशा। 4. णियपुत्तीओ-नन्देन निजपुत्रोवत् धृता। 5. मयरद्धय -नागकुमारप्रतिपत्तिसदृशम् / 7. इत्तो-सहितः / 8. दाम-माला / धामं-तेजस्कम् / 9. उइओ-उदितः / 11. कोइलकलरवपारावतशब्देन / 12. जाया-भार्या, वधू / 13. पहुकेराए-राजाज्ञया। थक्को-स्थितः / अण्णेसिंअन्यस्मिन् दिने / 14. ते-त्वया। 15. रम्मयगहणे-रम्यकवने / तिसिंगो-त्रिशिखरः। सिहरी तुंगो-शिखरी तुंगः / 15. छित्तपयंगो-स्पृष्टसूर्यः / 16. तस्स-गिरेः कटिभागे। रंमवणं-कदलीवनम् / 17. णववासरकर-नवीनसूर्यकिरणसमूहतिरस्कारः। 19. णत्ताह-नक्तदिनम् / 21. चुयंसुअपिच्चं-च्युताश्रुजलयुक्तम् / पिच्चं-जलं / 23. महणु-मथकः / 11 : रस-रसा, भू / रय-रद, दन्त / 2. कदम-चन्दनरसेन कदमो जातः / फलिहस्फटिक / 3. हरिणह-सिंहनखैः / दलिय–विदारित / कुंमि-हस्ती। विलुलिय-च्युत; स्फुटित, पातित / 5. दुक्कियरय-पापधूलीनाम् अघानि पातकानि, पापविनाशकानि वा। 7. पण्णासुत्तर-१५०%; 151 / 9. सगे-स्वर्गेण / खयरूसग्गे-मरणं यत्र विद्यते / 10. सिविणेहें-स्वप्नस्य ईहा स्वप्नसदृशेन; स्वप्नचेष्टावत् अस्थिरः / 13. निहियवहुसीसें- स्थापितवधूमस्तकेन; क्रीडा-कमलेन निहितानि वधूनां शीर्षाणि येन; वधूभिर्वा निहितं शीर्ष यस्य / 14. सिहि-अग्नि / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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