Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 262
________________ 185 टिप्पण 2 : 1. धम्मामयतरंगिणी-धर्मामृतनदी। कुहर-विवरं / 2. घणं-लोहवत् निविड / अतिशयेन निविडं पापं तस्य प्रक्षालनं गुणः तेन निर्मलीकृता अवनी पथिवी यया। 4. तस-त्रस / ५.णयसिरेणनतमस्तकेन, विनयपरेण / अणलिय-सत्य अनलीक / 6. कुंचिय-संकुचित / ८.णिग्गहेण-लोभस्य निग्रहकरणेन / 9. दिढवयेण-दृढव्रतेन / 11. णाय एण-ज्ञायकेन न्यायेन वा। सायएण - स्वादनेन, स्वादेन / 13. सिक्खएण-शिक्षाव्रतयुक्तेन शिशुकेन वा। पाविट्ठजीव-दुष्टजोवपोषणानादरेण / 14. घणयाणि-वर्षाकाले। 15. झाइएण-ध्यायकेन / 16. तपसहेन-उपवाससमर्थन : पोसहेणउपवासेन / 17. सारएण-उत्तमपुरुषेण / 18, दसणेण-सम्यक्त्वयुक्तेन / 20. पह-मोक्षमार्गात रत्नत्रयमार्गाद् वा प्रभृष्टः / 3: 1. कुसुइ-कुशास्त्र / कुवत्तयं-कुपात्रम् / 2. समत-सम्यक्त्वव्रतस्त्यक्तम् / 3. वज्जइत्यजति / कित्तणाई-व्यावर्णनानि / 5. दुविहेण-इंद्रियसंयमेन प्राणिसंयमेन च / अहमु-जघन्यपात्रम् सम्यग्दृष्टिमात्रः। 7. कुच्छिउ-कुत्सित / 9. दायारउ-दाता। 12. गिलुद्धएण-निलुब्धेन / 13. इयरहो-नवपुण्यरहितस्य / अडइरुण्णु-अरण्यरोदनम् / 14. असणुल्लड-भोजनम् / णिवसणुवस्त्रम् / 4:2. मंट-मूक / मंथिए-मथिते कारुण्यं क्रियते / 3. अवहेरहि-त्यज / मणि-चित्ते / 8. वोसहरेहु-कायोत्सर्गशरीरः असंस्कृतो वा / 9. निवियद-अविकृति, रसरहित / पयत्तु-प्रयत्नम् / 10. चम्मट्टि-चर्मास्थिशेष / गिल्लुक्क-निर्लुप्त, उत्पाटित / 13. लिरिहरु-विष्णुः / 5:1. सुहलिय-सुफलित / सुकय-पुण्यवृक्षाः। 2. सहसारग्गे-सहस्रारस्य स्वर्गस्य अग्रे उपरिपटले / 4. वाहरत्तु-अहदिनम्, अहोरात्रम् / सम्वाहरत्त-सर्वाधरत्वं सर्वेभ्यो निकृष्टम् / अधरत्वं नीचत्वम् / 5. करिहिंति-करिष्यन्ति / पयपणयलोय-पदप्रणतलोक / 6. जाणिय-ज्ञातजीवजाति / 7. पवडिय-प्रवद्धितः स्वामिलक्ष्म्यालयः येन स महाव्यालः / 8. जाइ-यया / 9. सुय-आकणितसकलशास्त्रस्य नागकुमारस्य गृहप्रवेशं करिष्यति / पह–स नागकुमारः तव लघुपुत्रस्य पतिर्भविष्यति / 11. मण्णमि-मन्ये / सरवण-तडागजलसारसपक्षिसमानानि सः स्मरो वाणो वा तस्य व्रणविधानि / 12. णाणचिंतामणी-ज्ञाता चिंता मनीषा यस्य स ईशः स्वामी वा। 13. गलियं-गलितस्वकार्येण आत्मकार्यरहितेन, गलितस्वपुण्येन वा / 6:1. अंबुरुहणेसरो-कमलसूर्यः। 4. अणुहवंत-भुजमानः / 5. नलिण-पद्मसहित / पुलिणतट / खयर--पक्षी खगोवा। 6. लील-शोभा। कील-क्रीडा। 7. मोइणि-भोगिनी वेश्या / तमालवृक्षविशेष / 9. पुरिसु-नरो न रोचते / राम-रामचन्द्र / 11. पणउ-स्नेहः / पियवम्महो-प्रियवर्म नाम मंत्रिपुत्रः, दुष्टवचनः / पणउ-प्रणतः, प्रणयः / 12. राईस-रात्रीशः चन्द्रः / राईव-कमल / 13. सुरहर-प्रासाद, देवगृह / °णितण्ण-स्थित-देवस्य / कुसुमपुर-पाटलिपुत्र / 16. करिकर-शुंडावत् / संगुल्लसियउ-सहांगेनोल्लसितं / 17. ससहर-मुखचन्द्रप्रभाहरः उच्छ्वासः निःश्वासः उष्णो मुक्तः / 7: 1. इंगियणाण-इंगितं वांछितं तस्य ज्ञानम् / 2. विष्णवियं-लोकः कथितं / भवयारओअवतरणम्, आगमनम् / 3. जोइउ-कन्यया दृष्टः नगर-प्रवेशे / 4. सयणिच्छियसिवेण-स्वजनानां वाछितमंगलेन, स्वनिश्चित-सुखेन / 8. "वेय-वेग / संतावरीण-गणिका सुन्दरी। परिक्खा-परीक्षा। 9. हिययं-हृदयस्थसौख्यस्थानभूता। 10. गज्जत-गजैः शब्दं कुर्वाणैः भयानकैः अरिदमनेन पाटलिपुत्रं निरुद्धम् / 11. 'रइयं-कृत, रचित / धुय-कंपमान / संदणेहिं-रथैः / 12. गउड-गोडदेश / 13. पणषिय-प्रणामित नम्रीकृत / 14. विजयाउरू-विजयपुरात् / दाइएण-- शत्रुणा / 15. छुद्धउ-क्षिप्त / घट्टियउ-चवितं / 16. हरहिमं- रुद्रवत् श्वेत, मुक्ताफलहारवत् / पलोटियउ-पातितः। 8 : 2. मणिउ-कथितम् / छलु छंडिउ-मानं मुक्तं संग्रामे / 3. सुइवहे-कर्णमार्गे / 5 कयलीकदली / 6. पियपलयां-पितृक्षयाशंकमाना / सहोयरु-महाव्यालः / 7. मदि-हे भद्रे / 8. मुह 24 P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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