Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ 194 णायकुमारचरिउ नागकुमारेण / 10. दिट्टए-दृष्टे / मुद्धहे-मुग्धायाः। 12. णेहु लहेप्पिणु-स्नेहं लब्ध्वा / सुहिसुहृत् / 14. मंडलमेल्लई-देशमोचकानि धनानि गृहीत्वा; प्रचुराणोत्यर्थः। 15. अवलोइउअवलोकितः कुमारेण / 2: 1. विरइय-विरचिता कृता रतिः। 2. तहो-नागकुमारस्य सा लक्ष्मीमती रोचते चंदहो रत्तिव-चन्द्रस्य रात्रिरिव / मवियहो-भव्यस्य / 3. पत्थिव-पार्थिवस्य प्रभोः सामर्थ्ययुक्तस्ये त्यर्थः। 7. सुधम्मणिन्वित्ति व-सुधर्मदाननिष्पादनवत् / 8. सररुह-कमल / 9. वित्तिव-वृत्तिवत् 10. णिसायर-चन्द्र / 12. मालइहे-जातीपुष्प / णिरारिउ-अतिशयेन / 3 : 1. सोहह-तथा नवीनवध्वा वरः शोभते / छायए-शोभया। सदए वायए-समीची' दयायुक्तया वाचा / 5. विहउ-विभवो लक्ष्मीः / 9. कोडीसरु-पक्षे अग्रे पाणयुक्त / 4 : 3. सिय-श्रीलक्ष्मीः / 8. समिइहिं-पञ्चभिः समितिभिः / महोयउ-आभोगो विस्तारः जोयउ-योगः / 9. पंचवीस मावण-तत्स्थैर्यार्थ भावनाः पञ्च पञ्च / 10. मणोरुहदमणे-कंदर्पदमनेन 11. धम्मबुद्धि-धर्मवृद्धिः / 5 : 2. जगु-एकेन निर्दिष्टं जगत् / 3. तासु-जीवस्य, बौद्धस्य / सो-बोद्धः / जीउ-जीवः 5. अंबरु-वस्त्रम् / परिहइ-परिदधाति / भुयणणाणु-त्रैलोक्यस्य रूपज्ञानं, अहं केवलज्ञानोति / ' खणधंसियहो-बौद्धस्य / 9. दीवक्खए कहि-दीपं विना अंजनादिकं क्व / 11. वाइ-वाक् / 1 सत्तहडी-सप्तघटिकानंतरम् / 6: 1. लच्छीसरु-लक्ष्मीश्वरः हरिः। 2. अंबरु-आकाशं शिवः / कुल कउले माणिउमलभूतः कूल: तस्य शिष्याः कोलाः। 3. तं-आकाशं। समासिउ-सदाशिवः. सष्टि कथं कराति / निक्कलु-निष्फलः / 11. मरइ न-न म्रियते / वित्त-धनं / 7: 1. घउ-घृत। 2. मारए-समूहे / 3. कणय-केन च / सिवगयणारविंदु-खे पु कथं / 4. मइरए-मद्येन / परवइरें-त्रिपुरराज / जिरहु-निष्पापोऽपि / अयसिर--ब्रह्ममस्तक पडियउ-पतितो जातः। 6. पहुवि-प्रभुरपि। 8. अट्ठियभूसणु-अस्थि भूषण / . 9. लिगवेसु. लिंगस्योपरि द्वेषः कथं / 10. पिसल्लय-भूताविष्टः / 11. वित्त:-धन / 8:1. सुरहं-देवानां ब्रह्मादीनां / 4. पण्णइं-धान्यानि / 6. महु-पाणई, मद्य / पयंपह-प्रजल्पंति / 8. जए-जगति / 9. सरेण-तडागेन / धेणुयए-गवा। 9:1. विज्झइ-विध्यते / इकलह-बलोवर्द / 2. वच्छु-वत्सः / 3. पलविज्जइ-प्रजल्प प्रलप्यते / 4. पाउमड-पापोद्भटाः / महामड-बलवत्तराः पशवः / 5. कण्हायणु-कृष्णचर्म, कुछ जिनम् / 6. सउयामणिहिं-सूत्रामणियज्ञे / 7. जण्ण-यज्ञ / कत्तियाई-कर्तिकया / 9. सई पासिउ स्वयं भक्षितः / 11. अट्ठियपत्त-अस्थिपात्रं चमचउ, खप्परं / 10: 1. सुरय-सुरतं / 2. तहो-ईश्वरस्य / 3. देइ-ददाति / 4. थाइ-तिष्ठान 6. परिवेयहि-त्वं जानीहि / 7. पुरिससारामु-परमात्मनो वनं, पुरुषाकारः। 9. किं पयइए वद्धउ चेत् ईदृशः तहि प्रकृत्या कथं बद्धः / 12. पंच गुणइँ-स्पर्शादयः / पंच तमत्तउ-पंच तन्मात्राणि / / पसरु–सत्त्वरजस्तमः एक तत्त्वम् / मणुहंकार-मनोऽहंकारः; पंचविंशतितमः आत्मा / 11 : 1. जल-जलणह-जलाग्नीनाम् / 7. कुमईसहि-कुमतीश्वरः / 8. मइ-मतिर्न दीय णिज्जइ-स्वमतिर्न नीयते / 10. दहविहु-उत्तमक्षमादि / दुविहु-मुनि-गृहि-भेदात् / स तवे मुनीनां तपः गृहिणां दानविधिः / 11. संसारियह-संसारिणाम् / 12 : 1. पंचमगइउ-पञ्चमगतिकः / 10. संका-कंखा-विरहियउ-सम्यग्दृष्टिः / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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