Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 258
________________ टिप्पण 181 3 : 3. इणं-एवं / 4. धत्थदुत्थं-वस्तदोष्ठयम् / 5. पीलु-लघुहस्ती / 6. रिसीणं वरिटोजिनः, ऋषीणां त्रिकालज्ञानिनां वरिष्ठः उत्कृष्टः वा। तीए-तथा पृथ्वीमहादेव्या। 6. कयाहिंदसेवोकृतघरणेन्द्रसेवः। 10. णयारूढवाणी-नैगमादिषु आरूढ़ा। 11. तमाणा-अंधकाराणां। पईवोप्रदीपः / तमाणं पहावो-वीतरागजिनः / 12. अगाओ-अगम्यः। अपाओ-पापरहितः / 14. मंगातरंगाः / 16. विसालं-विस्तीर्ण / 17. सेलिंदबाला-गिरिसुता, न शैलेन्द्रपुत्री पार्वती। 18. अहाणं रउद्यो-अघानां पापानां रुद्रः। 19. इमी-एषः / 21. सच्चारित्तहो-समीचीनचारित्रस्य / तवसिरिकंतहो-तप:श्रीस्वामिनः, तपःश्रिया, कमनीयस्य वा। 22. पयणयं-पादनतदेवेन्द्रस्य / भयवंतहोभगवतः, ज्ञानवतः पूज्यस्य वा / 4 : 1. इसि-ऋषिः। जं-यत्, यावत् / वेल्लहलमुए-कोमलभुजे / सुए-सुते / 3. अम्हारिसु-अस्मादृशो कथ्यताम् / मलहरणु-तपसो विशेषणम् / 5. मियसिरि-मुनिः अस्थिरत्वं कथयति / (किम्) किर-निश्चयेन / एइ-आगच्छति / 6. जमकरणु-रोगः / 7. पइसरइ-प्रविशति / उन्मडउ-उद्भटः दुःखस्य संघातेन उत्कटम् / 8. रुउलहसइ-रूपं होनं भवति / 10. ससिबिंबु विचन्द्रबिंबमपि / 11. इह-संसारे / 12. सयज्जयर-स्वकार्यकराः काराः। 13. पहुदीणेण समाणउप्रभातदिनकर इव / 5:1. तओ-ततः / वरं-श्रेष्ठं / 3. मत्तवारणं-मत्तवारणाः / 4. रसंत-शब्दं कुर्वन्तः मत्तवारणा हस्तिनो यत्र / मत्तवारणं-गज, हस्तिनम् / दिवायरसुवारणं-सूर्य-किरण-निषेधकम् / 5. सहम्म-सुवर्ण। 6. वणिया-णिता। वणिया-पत्निका / राज्ञां वन्द्यः जयंधरः तस्य पत्नो। 7. णिसण्णिया-उपविष्टा / 8. पहू-प्रभुः राजा। पहिट्ठठ-प्रहृष्टः। 9. वियंमियं-चित्ते प्रसृतं स्मरणमायातं प्रियामखं / 14. पहओ-प्रभा / 6:1. णिव-नृप / 2. सवत्तिहे हस्थिहउ-सपल्या हस्तिघटा। 3. दुरियहरहो-जिनगृहस्येदं विशेषणम् / 4. चमक्कियउ-भीतः। 5. परायउ-परावृतः पश्चाच्चलितः। 1. सणिहेलणु-स्वनिकेतनं / 8. सो समलु-स चन्द्रः समल: कलङ्कसहितः / 9. खणविलइ-क्षणविनाशि / पियवयणहोप्रियवदनस्य / गइ-शोभा। 10. मणिगियउ-इंगितेन / 11. सउणि-शकुनी-समूह, पक्षि-समूह / 16. वयणु-वचनम् / 18. जम्मु-जन्म / 19. आउंचियउ-खंचितः।। 7: 2. परबल-शत्रुसैन्य-चूर्णकः / पीण-स्थूल / 5. नहकुलिस-नख एव वज्रः / कोडिकोटिरग्र / 7. ताहे-पृथ्वीमहादेव्याः / 8. सधरधर-पर्वतसहिता (?) घरा भूः / 9. संदेहाणणमणइंआगमन संदेह प्राप्त। 10. अदु-निद्रारहितः। 11. णिवं-नृपवध्वाः नृपस्य च कथयति / 12. माणिणि-स्त्रीचित्तहरः / / 8:1. नीरंध-निच्छिद्र-बंधसंधेः / पुसिउ-स्पृष्टः / 3. निवडेसह-निपतिष्यति / 4. सिरिकरिवि-मस्तके कृत्वा। विहुरहरेण-विधुर-स्फेटकेन / 5. सोदामिणिहे-विद्युतः ईदृशस्य मणेः / 6. देवी-देवीनृपो / 9. पुण्ण-पुण्येन चादृतः आदरः कृतः / पुण्येन समाचरितः / 13. चिरु-पूर्व / देवइहे-देवक्याः / 9 : 1. सुंदरगह-मनोहरग्रहचन्द्रप्रमुखपुण्यग्रहदृष्टिदृष्टः / वंजण-तिलादि / लक्खणकुलिसादि। 4. महुसमउ-मधु वसंतसमयः / वियंभिउ-विस्मितः। 6. रिसिहि-अरसिकानाम् / हियवउ-हृदयं / यणु-जणु / 10. दीणई-अकिंचित्कराः / 12. उरि-हृदये। तुरिय-शीघ्रम् / अजिय-महद्भिरपि जयश्रीन जिता। 10 : 1. सयलकला-समस्तकला। गउवुढ्ढिहि-वृद्धिंगतः। 2. दुक्कियहरई-पापं छेत्तुं गतो, पाप-छेदं नती। मणिकलस-रत्नमयाः कलशाः / समुह-प्रमुख, मुखसहित / 3. उवणियउपनीत, गृहीतः / 6. णरणाहहों-राज्ञः चित्ते दुःखं जातं / आयहं-आगतानामपि / 7. पइमुहु-पतेः स्वामिनः मुखं / पियहे-प्रियायाः। जेण-कारणेन / 8. तं जोह-तन्मुखं दृष्टं सत् इह परलोक P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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